इटली से आई तीन महिलाओं द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की गई मुलाकात और उनके अनुभव, भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता के प्रति उनकी गहरी आस्था और समर्पण का परिचायक है।
महाकुंभ और भारतीय संस्कृति से जुड़ाव
इन महिलाओं ने प्रयागराज महाकुंभ में भाग लेकर भारतीय परंपराओं, नागा साधुओं, भजन-कीर्तन और धार्मिक अनुष्ठानों का अनुभव किया। महाकुंभ के इस दिव्य आयोजन को उन्होंने भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का जीवंत प्रदर्शन बताया।
मुख्यमंत्री से मुलाकात और प्रस्तुति
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके आवास पर मुलाकात के दौरान, इन महिलाओं ने अपनी आध्यात्मिक यात्रा और अनुभव साझा किए।
- रामायण और शिव स्तोत्र का गायन
- एक महिला ने रामायण की प्रसिद्ध चौपाई ‘मंगल भवन अमंगल हारी’ गाई।
- अन्य महिलाओं ने ‘शिव तांडव स्तोत्र’ और ‘महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र’ प्रस्तुत किया।
- इन प्रस्तुतियों ने मुख्यमंत्री और वहां उपस्थित सभी लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
- योगी आदित्यनाथ का अभिनंदन
- मुख्यमंत्री ने इन महिलाओं की भक्ति और भारतीय संस्कृति के प्रति उनके समर्पण की सराहना की और उन्हें ‘बहुत खूब’ कहा।
सनातन धर्म की दीक्षा और नागा संन्यासिनी बनना
महाकुंभ के अनुभव से प्रेरित होकर, इन महिलाओं ने सनातन धर्म अपनाने और नागा संन्यासिनी बनने का निर्णय लिया।
- संन्यास दीक्षा प्रक्रिया
- श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा द्वारा इन महिलाओं को विधिपूर्वक संन्यास की दीक्षा दी गई।
- गंगा स्नान के बाद उनका मुंडन संस्कार हुआ और उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाए गए।
- पिंडदान के बाद उन्हें आधिकारिक रूप से संन्यासिनी घोषित किया गया।
- नए नाम और जीवन परिवर्तन
- फ्रांस की मरियम को ‘कामाख्या गिरि’, इटली की बंकिया को ‘शिवानी भारती’, और नेपाल की मोक्षिता राय को ‘मोक्षता गिरि’ नाम दिया गया।
- मरियम पूर्व में एक निजी स्कूल में शिक्षिका थीं।
- बंकिया योग प्रशिक्षक के रूप में कार्यरत थीं।
- मोक्षिता राय पहले ही कई आध्यात्मिक बदलावों से गुजर चुकी थीं।
भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रभाव
इन महिलाओं ने अपनी यात्रा के दौरान भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता की गहराई को न केवल समझा, बल्कि इसे अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बना लिया।
- उन्होंने यह अनुभव किया कि भारतीय परंपराएं केवल धार्मिक क्रियाकलापों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह जीवन जीने की एक गहरी आध्यात्मिक दृष्टि प्रस्तुत करती हैं।
- महाकुंभ ने उन्हें यह एहसास दिलाया कि यह आयोजन वैश्विक संस्कृति और आध्यात्मिकता का संगम है।
इन महिलाओं का अनुभव भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की सार्वभौमिकता और इसकी गहन आध्यात्मिकता को रेखांकित करता है। उनकी यात्रा ने यह सिद्ध किया कि भारतीय परंपराएं न केवल भारतीयों के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा और जीवन का एक मार्गदर्शन प्रस्तुत कर सकती हैं।