राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने वडयाम्बडी में आयोजित एक बैठक में भारतीय संस्कृति, एकता, और हिंदू जीवनशैली की शक्ति पर अपने विचार साझा किए। उनके संबोधन के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
1. भारतीय एकता और ताकत का महत्व
- मोहन भागवत ने कहा कि भारत की असली ताकत एकजुटता में निहित है। यह एकजुटता ही देश को सफल और विजयी बनाती है।
- उन्होंने बताया कि हिंदू जीवनशैली में न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए परम शांति और समाधान प्रदान करने की क्षमता है।
2. आरएसएस का उद्देश्य और मिशन
- भागवत ने आरएसएस को हिंदू समाज को एकजुट करने और धर्म की रक्षा के माध्यम से विश्व को सार्थक समाधान प्रदान करने वाला संगठन बताया।
- उन्होंने कहा कि आरएसएस का मुख्य मिशन मानव विकास को बढ़ावा देना है, जो अनुशासन, ज्ञान और दृढ़ निश्चय पर आधारित है।
3. आत्मनिर्भरता और जिम्मेदारी
- उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि “जो खुद की रक्षा नहीं कर सकते, उन्हें भगवान भी नहीं बचा सकते”।
- भागवत ने देशवासियों को याद दिलाया कि भारत की संतान होने के नाते हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी मातृभूमि को कमजोर न होने दें।
4. भारतीय दर्शन और समाधान
- आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारतीय दर्शन सबको एकजुट करने और विविधता में एकता को समाहित करने की शिक्षा देता है।
- उन्होंने यह भी कहा कि विश्व के मौजूदा संघर्षों और समस्याओं का समाधान भारतीय दृष्टिकोण और जीवनशैली में है।
5. सांस्कृतिक एकता का महत्व
- भागवत ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक एकता इसकी अनूठी विशेषता है। यह विविधता में एकता की मिसाल पेश करती है।
- उन्होंने आदि शंकराचार्य के योगदान का उल्लेख किया, जिन्होंने भारत के चारों कोनों में मठों की स्थापना कर देश की एकता को मजबूत किया।
6. वर्तमान चुनौतियां और समाधान
- उन्होंने देश में किसानों, उपभोक्ताओं, श्रमिकों और राजनीतिक दलों के बीच चल रहे आंदोलनों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन सभी संघर्षों का समाधान आत्मबल, अनुशासन और एकजुटता के जरिए किया जा सकता है।
- भागवत ने कहा कि वर्तमान समय में दृढ़ निश्चय और उद्देश्य की अटूट भावना आवश्यक है।
7. केरल की सांस्कृतिक विशेषता
- उन्होंने केरल को एक ऐसी भूमि बताया, जहां लोग काशी से गंगा जल लेकर रामेश्वरम में चढ़ाते हैं, जो सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है।
- केरल में जन्मे आदि शंकराचार्य को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी शिक्षाओं ने भारतीय समाज में एकता और शक्ति को बढ़ावा दिया।
8. केरल यात्रा का उद्देश्य
- मोहन भागवत 16 से 21 जनवरी तक केरल के दौरे पर हैं और इस दौरान वह संगठनात्मक गतिविधियों में भाग ले रहे हैं।
- बैठक में आरएसएस के दक्षिण क्षेत्र संघचालक आर. वन्नियाराजन और दक्षिण केरल प्रांत संघचालक एम.एस. रामेसन भी उपस्थित थे।
मोहन भागवत ने अपने संबोधन में भारत की सांस्कृतिक और दार्शनिक विरासत को विश्व के लिए मार्गदर्शक बताया। उन्होंने कहा कि भारत अपनी एकता, सांस्कृतिक विविधता और हिंदू जीवनशैली के माध्यम से एक ताकतवर और लाभकारी राष्ट्र के रूप में उभर रहा है।