उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर में जाकर गरीब दलितों को लालच देकर उनका धर्म परिवर्तन कराने के आरोप में एक ईसाई दंपती को एससी-एसटी कोर्ट के विशेष न्यायाधीश राम विलास सिंह ने 5 साल की सजा सुनाई है और उनके ऊपर 25-25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। ईसाई धर्मांतरण मामले में उत्तर प्रदेश धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत ये पहली सजा है।
जानकारी के मुताबिक, केरल से आए और मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के पिपरिया बैंक कॉलोनी में रहने वाले जोस पापाचन व उसकी पत्नी शीजा एएमएन के खिलाफ जलालपुर के जमौली निवासी भाजपा नेता चंद्रिका प्रसाद ने 18 जनवरी 2023 को केस दर्ज कराया था। चंद्रिका ने अपनी शिकायत में कहा था कि जोस और शीजा 2022 में 3 माह तक शाहपुर फिरोज गाँव की दलित बस्ती में आए-गए और वहाँ गरीब परिवारों को टारगेट करके उन्हें बरगलाया। इसके बाद 25 दिसंबर 2022 को दोनों पति-पत्नी ने दलितों को बड़ी संख्या में इकट्ठा करके धर्म परिवर्तन कराने का प्रयास किया।
चंद्रिका की शिकायत के बाद पुलिस ने दोनों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया था। वहीं पड़ताल में इनके पास से ईसाई सामग्री बरामद हुई थी। इनके खिलाफ सबूत इकट्ठा करने के क्रम में ये जानकारी भी सामने आई थी कि ये लोग दलित बस्ती में पहुँचकर दलित समाज के लोगों को बाइबल का पाठ पढ़ाते थे, ईसा मसीह के बारे में बताते थे, रुपया पैसा का लालच देकर ईसाई धर्म से जुड़ने को कहते थे और आखिर में उनका ईसाई धर्म में परिवर्तन करवाकर उन्हें अपनी किताब देते थे। इतना ही नहीं ये लोग जनसभा करवाकर भी लोगों को बरगलाते थे।
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कोर्ट ने यही सारे सबूत देखते हुए माना कि इन दोनों ने दलित समाज के लोगों को प्रलोभन देकर सामूहिक धर्म परिवर्तन करने के लिए प्रेरित किया। साथ ही विधि विरुद्ध ढंग से उन्हें ईसाई धर्म में परिवर्तित कराया। इसके बाद उन्होंने दंपती को दलितों का धर्मांतरण कराने का दोषी पाते हुए धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम के तहत कारावास के साथ अर्थदंड की सजा सुनाई। अब शीजा को 18 जनवरी और जोस को 22 जनवरी को जेल भेजा गया।