हर साल 29 जनवरी को दिल्ली के विजय चौक पर आयोजित होने वाली बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी के साथ गणतंत्र दिवस समारोह का समापन होता है। यह परंपरा भारतीय सेनाओं की गौरवशाली परंपराओं और देशभक्ति से ओत-प्रोत धुनों के साथ मनाई जाती है। इस अवसर पर थल सेना, वायु सेना और नौसेना के बैंड देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति देते हैं, जिससे वातावरण राष्ट्रप्रेम की भावना से भर जाता है।
क्या है बीटिंग रिट्रीट की परंपरा?
बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी की जड़ें प्राचीन सैन्य परंपराओं में हैं। राजा-महाराजाओं के युग में, जब सेनाएं युद्ध लड़ती थीं, तो सूर्यास्त के बाद युद्ध विराम का संकेत देने के लिए संगीत बजाया जाता था। इसे ही “बीटिंग द रिट्रीट” कहा जाता था।
आज भी इसी परंपरा का पालन करते हुए, गणतंत्र दिवस के बाद सैनिकों की बैरकों में वापसी के प्रतीक रूप में यह समारोह आयोजित किया जाता है। समारोह में राष्ट्रगान की धुन के साथ सूर्यास्त के बाद राष्ट्रीय ध्वज को सम्मानपूर्वक उतार दिया जाता है, जिससे गणतंत्र दिवस कार्यक्रम का औपचारिक समापन होता है।
बीटिंग रिट्रीट का चीफ गेस्ट कौन होता है?
इस समारोह में देश की सबसे प्रतिष्ठित हस्तियां शामिल होती हैं, लेकिन मुख्य अतिथि हमेशा राष्ट्रपति होते हैं।
- राष्ट्रपति के विजय चौक पहुंचते ही उन्हें “नेशनल सैल्यूट” दिया जाता है।
- तीनों सेनाओं के बैंड राष्ट्रभक्ति से भरी धुनों के साथ मार्च करते हैं।
- बैंड मास्टर राष्ट्रपति के पास जाकर बैंड वापस ले जाने की अनुमति मांगते हैं, जिसका अर्थ होता है कि गणतंत्र दिवस समारोह अब समाप्त हो गया है।
- “सारे जहां से अच्छा” की धुन बजाकर समारोह का समापन किया जाता है।
भारत में बीटिंग रिट्रीट की शुरुआत कब हुई?
भारत में 1950 के दशक में इस परंपरा की शुरुआत हुई थी।
- 1955 में, जब महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और प्रिंस फिलिप भारत दौरे पर आए थे, तब भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट्स ने पहली बार बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का विचार प्रस्तुत किया।
- इस विचार को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने समर्थन दिया और इसे औपचारिक रूप दिया गया।
- तब से हर साल 29 जनवरी को यह समारोह आयोजित किया जाता है।
बीटिंग रिट्रीट की भव्यता और खासियत
- इंडिया गेट से लेकर राष्ट्रपति भवन तक विशेष लाइटिंग की जाती है।
- समारोह में भारतीय सैन्य धुनों के साथ आधुनिक संगीत का समावेश भी किया जाता है।
- ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा जैसे कई देशों में भी यह परंपरा निभाई जाती है।
बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी गणतंत्र दिवस के उल्लास का भव्य समापन है। यह न केवल भारतीय सेना की गरिमा और शौर्य का प्रदर्शन करता है, बल्कि राष्ट्र के गौरवशाली इतिहास और परंपराओं को भी संजोता है।