दिल्ली विधानसभा चुनाव के पहले, आम आदमी पार्टी (AAP) को सात विधायकों के इस्तीफे से बड़ा झटका लगा है। ये सभी विधायक, जिनमें कुछ प्रमुख नेता शामिल हैं, पार्टी छोड़ चुके हैं, और उनका आरोप है कि AAP अपनी ईमानदारी की विचारधारा से भटक चुकी है और भ्रष्टाचार के दलदल में फंस गई है।
इस्तीफा देने वाले विधायक:
- भावना गौड़ (पालम)
- नरेश यादव (महरौली)
- राजेश ऋषि (जनकपुरी)
- मदन लाल (कस्तूरबा नगर)
- रोहित महरौलिया (त्रिलोकपुरी)
- बी एस जून (बिज़वासन)
- पवन शर्मा (आदर्श नगर)
इन विधायकों ने पार्टी छोड़ने के कारण के रूप में कहा कि आम आदमी पार्टी का भ्रष्टाचार विरोधी रवैया अब दिखता नहीं है। वे आरोप लगा रहे हैं कि AAP अब उस ईमानदारी और भ्रष्टाचार मुक्त शासन के सिद्धांत से दूर जा चुकी है, जिस पर यह पार्टी शुरू हुई थी।
नरेश यादव का बयान:
महरौली विधानसभा सीट से विधायक नरेश यादव ने इस्तीफे में लिखा कि उन्होंने आम आदमी पार्टी ईमानदारी की राजनीति के लिए जॉइन की थी, लेकिन अब उन्हें पार्टी में कहीं भी ईमानदारी नजर नहीं आ रही है। उनका कहना था कि पार्टी भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना आंदोलन से उभरी थी, लेकिन अब खुद भ्रष्टाचार के दलदल में फंस गई है।
कांग्रेस, भाजपा और AAP की राजनीति पर प्रभाव:
- ये इस्तीफे पार्टी के लिए एक समान्य और समय से पहले बड़ा धक्का हैं, क्योंकि दिल्ली विधानसभा चुनाव की वोटिंग अब बस 5 फरवरी को होने वाली है।
- यह समय AAP के लिए खासा अहम है, क्योंकि पार्टी ने इस चुनाव में इन विधायकों को टिकट नहीं दिया था, फिर भी इन इस्तीफों से पार्टी की छवि पर असर पड़ सकता है।
AAP की स्थिति:
इन इस्तीफों के बाद AAP को भ्रष्टाचार के आरोपों के संदर्भ में काफी मुश्किलें आ सकती हैं, और यह आंदोलन से राजनीति में बदलाव की कहानी को लेकर सवाल उठाता है। पार्टी का दावा था कि वे दिल्ली में ईमानदारी और पारदर्शिता के प्रतीक हैं, लेकिन अब इसे लेकर पार्टी के अंदर ही असंतोष सामने आया है।
हालांकि, पार्टी ने इस आरोप पर अभी तक प्रतिक्रिया नहीं दी है, और अब पार्टी को विरोधी दलों से इस मुद्दे पर जवाब का सामना करना पड़ेगा।