ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे में स्थानीय लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शुरुआती दौर में उन्होंने ना सिर्फ पीड़ितों को बाहर निकाला और उन्हें पानी पिलाया, बल्कि इसमें गंभीर रूप से घायल हुए लोगों के लिए दिल खोलकर रक्तदान भी किया। इस हादसे में 260 से अधिक लोगों की मौत हो गई है, जबकि 1000 के लगभग लोग घायल हैं। ओडिशा और ओडिशा में एक दिवसीय राजकीय शोक घोषित किया गया है।
शुक्रवार (2 जून 2023) की शाम को बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी की टक्कर के बाद स्थानीय लोग बड़ी संख्या में घटनास्थल पर पहुँच गए। बालासोर जिले के रणजीत गिरी, बिप्रदा बाग, आशा बेहरा और अशोक बेरा सहित दर्जनों निवासी बहानगा बाज़ार स्टेशन पहुँचकर घायलों को बचाने में लग गए।
स्थानीय निवासी गिरी के अनुसार, “मैं शाम 7 बजे के आसपास अपने दोस्तों के साथ पास की एक चाय की दुकान पर था। अचानक मैंने तेज़ आवाज़ सुनी, जिसके बाद लोगों के रोने की आवाज़ आई। हम मौके पर पहुँचे और जो देखा उससे हम दंग रह गए। बिना समय गँवाए हमने घायलों को निकालना शुरू किया। हमने पुलिस और रेलवे अधिकारियों को भी सूचित किया।”
एक अन्य निवासी बाग ने बताया, “हमने कम से कम 50 घायल यात्रियों को बचाया और यात्रियों को स्थानीय अस्पताल तक पहुँचाने के लिए अपने वाहनों का इस्तेमाल किया। बचे हुए कुछ लोग अपने प्रियजनों की तलाश कर रहे थे, लेकिन अंधेरा होने के कारण हम उनकी मदद नहीं कर सके।”
दुर्घटना की भीषणता को देखते हुए स्थानीय निवासी नजदीकी अस्पतालों में रक्तदान करने भी पहुँचे, ताकि जरूरतमंदों को खून की कमी के कारण जान ना गँवानी पड़े। अस्पतालों के बाहर रक्तदान करने वालों की लंबी लाइन लगी हुई है।
एससीबी मेडिकल कॉलेज, कटक के डॉक्टर जयंत पांडा ने बताया, “युवाओं से बहुत बड़ी प्रतिक्रिया मिल रही है। सैकड़ों लोगों ने रक्तदान किया। कटक, बालासोर और भद्रक में कल रात से अब तक 3000 यूनिट से अधिक रक्त एकत्र किया जा चुका है। हमने सीएम और पीएम राहत कोष में भी दान दिया है।”