बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ पूरे देश में अभियान छिड़ा हुआ है। आए दिन खबरें आती हैं कि कभी बांग्लादेशी भारत में घुसते वक्त बॉर्डर से पकड़े गए तो कभी फर्जी पहचान के साथ देश के किसी कोने में सालों से रहते हुए। ताजा खबर है कि मुंबई में पुलिस ने 16 बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है। ये लोग भारत में अवैध रूप से रह रहे थे।
डोंगरी पुलिस को इनकी जानकारी हुई तो उनकी टीम ने मानखुर्द, वासी नाका,कल्याण,मुंब्रा, कलंबोली,पनवेल, कोपरखैरने इलाके से 16 बांग्लादेशी नागरिक को गिरफ्तार किया।
ये पहली बार नहीं है कि मुंबई पुलिस ने बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ एक्शन लिया हो। इससे पहले भी बड़ी-बड़ी कार्रवाई हुई हैं। दो दिन पहले ही मुंबई से 201 बांग्लादेशी गिरफ्तार हुए थे और उससे पहले भी इनकी धड़पकड़ तेज ही थी।
बता दें कि मुंबई में बांग्लादेशियों को पकड़ने में जितनी भूमिका पुलिस की है उतनी ही उन लोगों की भी है जो इनकी जानकारी देते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही पुलिस के खबरी की दिलचस्प कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने बीवी से धोखा मिलने के बाद ही अपने जीवन का उद्देश्य ही बांग्लादेशियों को पकड़वाना बना लिया। उनके प्रयास से पुलिस ने साल 2023 तक में 3500-4000 बांग्लादेशी पकड़कर वापस मुल्क भेजे थे।
46 वर्षीय इस पुलिस खबरी की पहचान रिपोर्टों में नहीं बताई गई है, पर ये जानकारी दी गई है कि इनकी बांग्लादेशी बीवी ने इन्हें धोखा दिया था। इसी के बाद इन्होंने बांग्लादेशियों को चुन-चुनकर वापस मुल्क भिजवाने का प्रण लिया। मिड-डे से बाचतीच के दौरान उन्होंने साल 2023 में बताया था कि वो ठाणे में रहते हैं। यही पले-बढ़े हैं। अबी अपनी पोल्ट्री की दुकान चलाते हैं। उन्होंने पुलिस मुखबिर के तौर पर करियर की शुरूआत 20 साल पहले की थी जब उनकी पहली बीवी सलेहा बेगम उन्हें धोखा देकर चली गई थी।
पुलिस के इस मुखबिर के मुताबिक जिस सलेहा बेगम को उन्होंने बीवी बनाया, वो पहले बार में डांसर का काम करती थी। उन्हें उससे प्यार हुआ तो उनकी मुलाकातें बढ़ीं। सलेहा ने बताया कि वो कोलकाता से है, लेकिन हकीकत में वो थी बांग्लादेश से। निकाह हुआ तो वो शादी के बाद उन्हें और दो बेटियों को बांग्लादेश लेकर गई। शुरू में उन्हें लगा कि वो लोग कोलकाता में है मगर बाद में एहसास हुआ कि ये तो बांग्लादेश है।
मुखबिर के अनुसार उनकी बीवी उनको बांग्लादेश के सतखीरा जिले के कोलारोआ थानांतर्गत आने वाले एक गाँव ले गई। सलेहा के परिजनों को नहीं पता था कि वो निकाह कर चुकी है। उसके परिजनों को लगा कि शौहर हिंदू है। मुखबिर ने बार-बार बताना चाहा कि वो मुस्लिम हैं, उन्हीं के मजहब के हैं, लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं मानी।
जाँच के लिए कपड़े उतारे, उनका खतना देखा, फिर भी यकीन नहीं किया और बाद पुलिस के भी हवाले कर दिया। पुलिस ने हिरासत में रखकर उन्हें खूब पीटा। इस बीच न सलेहा और न उनके परिवार का कोई शख्स उनसे मिलने आया। जब पुलिस ने रिहाई के लिए पैसे माँगे तो वहीं से उन्होंने अपने अब्बा को फोन किया। सारी बात सुनने के बाद अब्बा ने बंगाल में ले रखी एक जमीन को बेच दिया और कोलारोआ पुलिस को 5 लाख रुपए का भुगतान किया।
मुखबिर ने पुलिस के पास से छूटते ही सलेहा से वापस चलने को कहा, लेकिन उसने आने से मना कर दिया। वो उस समय अपनी बड़ी बेटी को लेकर अपने मुल्क लौट आए और यहाँ आकर कसम खाई कि एक भी बांग्लादेशी को भारत में नहीं रहने देंगे। मुखबिर ने बाद में दूसरी शादी कर ली। आज उनके तीन बच्चे हैं। वही बड़ी बेटी की शादी हो गई है।
20 साल से वो बांग्लादेशियों को पकड़वाने का काम कर रहे हैं। आज उन्हें इतना अनुभव हो गया है कि वो किसी भी बांग्लादेशी नागरिक के बातचीत करने के ढंग से जान जाते हैं कि कौन बांग्लादेशी है, कौन नहीं। वो ऐसे लोगों को आसान से पहचान जाते हैं और फिर उनकी जानकारी पुलिस को दी जाती है। उन्होंने अब तक इस दिशा में कई पुलिस एजेंसियों के साथ काम किया है। वो कहते हैं कि सरकार को बांग्लादेशी घुसपैठ रोकने के लिए सख्त कानून बनाने की जरूरत है।