बांके बिहारी जी की ‘लक्ष्मी पोशाक’ भक्तों के बीच चर्चा का विषय बन गई है। माघ पूर्णिमा के शुभ अवसर पर पहली बार भगवान को नोटों से बनी पोशाक धारण कराई गई, जिसने श्रद्धालुओं को दिव्य आनंद से भर दिया।
मुख्य बिंदु:
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4 लाख रुपये की पोशाक:
- पोशाक में ₹200 के 15 गड्डी (₹3 लाख) का प्रयोग किया गया।
- अन्य ₹1 लाख के नोटों में ₹10, ₹20, ₹100 और ₹500 के नोट शामिल थे।
- भगवान की चोली, धोती, मुकुट सभी नोटों से बनाए गए।
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राजस्थान के भक्त की भेंट:
- इस विशेष पोशाक को राजस्थान के एक भक्त ने अर्पित किया।
- भक्त को सांवरिया सेठ के दर्शन से प्रेरणा मिली।
- उन्होंने खुद कारीगरों के साथ बैठकर पोशाक तैयार करवाई।
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पहली बार नोटों से बनी पोशाक:
- इससे पहले नोटों के बंगले और माला अर्पित की जाती रही हैं।
- पहली बार भगवान को पूरी तरह नोटों से बनी पोशाक धारण कराई गई।
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शयन भोग सेवा के दौरान धारण:
- यह विशेष पोशाक शाम की शयन भोग सेवा में पहनाई गई।
- भक्तों ने भगवान को इस स्वरूप में देख भक्ति भाव से सराबोर हो गए।
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प्रेरणा:
- यह विचार सांवरिया सेठ के मंदिर में नोटों की पोशाक देखने के बाद आया।
- भक्त ने खुद कारीगरों के साथ मिलकर इस पोशाक को बनवाया।
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महत्व:
- इसे “लक्ष्मी पोशाक” कहा गया, जो मां लक्ष्मी की कृपा का प्रतीक मानी जाती है।
बांके बिहारी जी की इस अलौकिक छवि ने भक्तों को मोह लिया और मंदिर में एक दिव्य वातावरण बना दिया।