महाराष्ट्र के पुणे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) से पीड़ित एक 59 वर्षीय शख्स की मौत हो गई है। इसके साथ ही शहर में इस बीमारी से मरने वालों की संख्या बढ़कर 8 हो गई है। जीबीएस नर्व्स से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। जीबीएस से संक्रमित और मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है।
पुणे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। हाल ही में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने जानकारी दी है कि 5 और लोगों में जीबीएस की पुष्टि हुई है, जिसके साथ ही इस दुर्लभ तंत्रिका विकार के पुष्ट और संदिग्ध मामलों की संख्या बढ़कर 197 तक पहुंच गई है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि इन 5 नए मामलों में दो नए और तीन पुराने मामले शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि अब तक 172 मामलों में जीबीएस की पुष्टि हो चुकी है।
कहां-कहां के हैं मरीज?
इसमें से 40 मरीज पुणे नगर निगम (पीएमसी) क्षेत्र से हैं, 92 मरीज नए शामिल गांवों से हैं, 29 पिंपरी चिंचवड़ नगर निगम क्षेत्र से, 28 पुणे ग्रामीण क्षेत्र से और आठ अन्य जिलों से हैं। स्वास्थ्य विभाग ने यह भी बताया कि इन मरीजों में से 104 को उपचार के बाद अस्पतालों से छुट्टी मिल चुकी है, जबकि 50 मरीजों का इलाज अब भी गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में किया जा रहा है और 20 मरीजों को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है।
संक्रमण से अब तक 8 मौतें
जीबीएस के कारण अब तक 8 मरीजों की मौत हो चुकी है, जो इस बीमारी की गंभीरता को दर्शाता है। जीबीएस एक दुर्लभ तंत्रिका विकार है, जो व्यक्ति के रोग प्रतिरोधक तंत्र को प्रभावित करता है। इसके परिणामस्वरूप शरीर के विभिन्न हिस्सों में अचानक सुन्नपन, मांसपेशियों में कमजोरी और कभी-कभी निगलने और सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
राज्य में 203 मरीजों की पुष्टि, 54 ICU में
महाराष्ट्र राज्य में अब तक 203 GBS मरीज सामने आ चुके हैं। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार इनमें से 109 मरीज पूरी तरह ठीक होकर डिस्चार्ज हो चुके हैं। वहीं 54 मरीज अभी भी ICU में भर्ती हैं, जबकि 20 वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं।
क्या है GBS..? कैसे होती है ये बीमारी…?
गुलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) एक दुर्लभ ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जिसमें व्यक्ति का प्रतिरक्षा तंत्र (Immune System) गलती से अपने नर्वस सिस्टम (तंत्रिका तंत्र) पर हमला करने लगता है। इससे मांसपेशियों में कमजोरी, चलने-फिरने में दिक्कत और लकवे जैसे लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं।
GBS के लक्षण :
- अचानक हाथ-पैर में झुनझुनी या कमजोरी महसूस होना
- चलने में परेशानी या संतुलन खोना
- बोलने और निगलने में कठिनाई
- शरीर तेजी से लकवाग्रस्त होना
- सांस लेने में दिक्कत (गंभीर मामलों में वेंटिलेटर की जरूरत)
- हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव
GBS से बचाव और इसका उपचार
अभी GBS के कारणों का पूरी तरह पता नहीं चल पाया है, लेकिन यह अक्सर वायरल संक्रमण, डेंगू, चिकनगुनिया या बैक्टीरियल इंफेक्शन के बाद देखा जाता है। इसका कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन कुछ उपचारों से इसे नियंत्रित किया जा सकता है. जैसे कि…
- इम्यूनोग्लोबुलिन थेरेपी (IVIG) : इम्यून सिस्टम को शांत करने के लिए
- प्लाज़्माफेरेसिस (Plasmapheresis) : खून से हानिकारक एंटीबॉडी निकालने के लिए
- फिजियोथेरेपी : मांसपेशियों की ताकत बढ़ाने के लिए
- वेंटिलेटर सपोर्ट : गंभीर मरीजों के लिए