दलाई लामा को ज़ेड श्रेणी की सुरक्षा देने का फैसला भारत सरकार की ओर से एक महत्वपूर्ण कदम है, जो उनकी सुरक्षा को और मजबूत करेगा।
मुख्य बातें:
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अब सीआरपीएफ करेगी सुरक्षा:
- पहले उनकी सुरक्षा हिमाचल प्रदेश पुलिस के जिम्मे थी, लेकिन अब पूरे भारत में उनकी सुरक्षा सीआरपीएफ के ज़ेड कैटेगरी सुरक्षा घेरे में होगी।
- 30 सीआरपीएफ कमांडो अलग-अलग शिफ्ट में उनकी सुरक्षा में तैनात रहेंगे।
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खुफिया एजेंसियों की समीक्षा के बाद फैसला:
- गृह मंत्रालय ने खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर यह निर्णय लिया।
- चीन के साथ बढ़ते तनाव और तिब्बत मुद्दे को देखते हुए यह सुरक्षा बढ़ाई गई है।
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संबित पात्रा को भी ज़ेड सुरक्षा:
- मणिपुर में बीजेपी नेता और पुरी लोकसभा सांसद संबित पात्रा को भी ज़ेड श्रेणी की सुरक्षा दी गई है।
- वह मणिपुर में बीजेपी के प्रभारी हैं, जहां हाल के महीनों में सुरक्षा स्थिति संवेदनशील रही है।
दलाई लामा का इतिहास और तिब्बती विरासत:
- 14वें दलाई लामा: तेनजिन ग्यात्सो, जिनका जन्म 6 जुलाई 1935 को तिब्बत के तकत्सेर गांव में हुआ था, को 14वें दलाई लामा की उपाधि मिली।
- बोधिसत्व की मान्यता: बौद्ध धर्म में उन्हें करुणा के बोधिसत्व के रूप में देखा जाता है, जो मानवता की सेवा के लिए पुनर्जन्म लेते हैं।
- भारत में शरण: 1959 में तिब्बत पर चीन के कब्जे के बाद दलाई लामा भारत आए और धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) में तिब्बती सरकार-इन-एक्ज़ाइल की स्थापना हुई।
क्या यह फैसला चीन को संदेश है?
- भारत का यह कदम रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि चीन दलाई लामा को अलगाववादी मानता है और उनकी गतिविधियों पर हमेशा आपत्ति जताता है।
- ज़ेड कैटेगरी सुरक्षा यह दर्शाती है कि भारत उनकी सुरक्षा को लेकर गंभीर है और तिब्बती समुदाय की चिंता को महत्व देता है।
दलाई लामा को ज़ेड सुरक्षा देना उनकी बढ़ती सुरक्षा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए लिया गया एक अहम फैसला है। यह न केवल उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा बल्कि तिब्बत के मुद्दे पर भारत की कूटनीतिक स्थिति को भी दर्शाता है।