यह खबर वाकई में भारत की ओंगोल गाय की वैश्विक पहचान और आंध्र प्रदेश की पशुधन विरासत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। ओंगोल गाय, जिसे ब्राजील में 4.82 मिलियन डॉलर (लगभग 41 करोड़ रुपये) में बेचा गया, ने अपनी अद्भुत आनुवंशिकी और शारीरिक क्षमता के कारण दुनिया भर में सुर्खियाँ बटोरी हैं। इस बिक्री ने न केवल भारत बल्कि वैश्विक डेयरी उद्योग को भी प्रभावित किया है, और यह भारत की कृषि और पशुपालन क्षेत्र की संभावनाओं को भी उजागर करता है।
ओंगोल गाय की खासियतें:
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बेहतर आनुवंशिकी: ओंगोल गाय अपनी बेहतरीन आनुवंशिकी और ताकत के लिए प्रसिद्ध है। यह गाय शारीरिक रूप से मजबूत होती है और गर्मी सहने की उच्च क्षमता रखती है, जो इसे डेयरी व्यवसाय के लिए आदर्श बनाती है।
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ब्राजील में बढ़ती मांग: ब्राजील जैसे देशों में ओंगोल गाय से अच्छे मुनाफे की उम्मीद है, और यहां तक कि इन गायों का जर्मप्लाज्म आयात कर वहां के डेयरी उद्योग को लाभ हो रहा है। हालांकि भारत में इस नस्ल के संरक्षण और प्रचार की आवश्यकता है, ताकि यह स्थानीय स्तर पर भी उतनी ही प्रतिष्ठित बन सके।
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आंध्र प्रदेश का गौरव: आंध्र प्रदेश की यह गाय न केवल व्यापारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसने आंध्र प्रदेश की पशुधन विरासत को भी एक नई पहचान दी है। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने इस उपलब्धि को राज्य की समृद्धता का प्रतीक बताया है, और यह दर्शाता है कि किस प्रकार पारंपरिक भारतीय नस्लें वैश्विक मंच पर सफलता हासिल कर सकती हैं।
यह निश्चित रूप से भारतीय कृषि और पशुपालन क्षेत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, और इस प्रकार की उपलब्धियों से भारत की आर्थिक और सांस्कृतिक धरोहर को भी बढ़ावा मिलता है।
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी जगह बनाई
वियाटिना-19 मिस साउथ अमेरिका का ख़िताब भी जीत चुकी है। इसने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी जगह बनाई है। यह 2024 में सबसे महंगी गाय के रूप में दर्ज हुई। यह गाय डेयरी के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है। इसकी शारीरिक ताकत, गर्मी सहने की क्षमता और मांसपेशियों की संरचना इसे खास बनाती है। ब्राजील जैसे देशों ने इस नस्ल का पूरा फायदा उठाया है। वहीं, भारत में यह नस्ल उपेक्षित है।