महाकुंभ 2025 में पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता को लेकर कई अनूठे प्रयोग किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में “जल कलश” पहल विशेष आकर्षण का केंद्र बनी हुई है, जिसकी स्थापना अरैल घाट, सेक्टर 24, निषाद राज मार्ग में की गई है।
क्या है जल कलश पहल?
🔹 कुंभ क्षेत्र में प्रयुक्त प्लास्टिक की बोतलों को एकत्र कर रिसाइकिल किया जा रहा है, जिससे पर्यावरण पर इनका दुष्प्रभाव न पड़े।
🔹 20,000 से अधिक प्लास्टिक की बोतलें इस अभियान के तहत एकत्र की गई हैं।
🔹 इस पहल को नमामि गंगे मिशन के पूर्व महानिदेशक अशोक कुमार के नेतृत्व में विभिन्न संगठनों के सहयोग से शुरू किया गया है।
🔹 1 फरवरी से 20 फरवरी, 2025 तक चलने वाले इस 20-दिवसीय अभियान को एचसीएल फाउंडेशन व डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स द्वारा आयोजित किया गया है।
🔹 आदर्श सेवा समिति और मंगल भूमि फाउंडेशन भी इस पहल में सहयोग कर रहे हैं।
जल कलश का उद्देश्य:
✅ गंगा की अविरलता और निर्मलता बनाए रखना।
✅ कुंभ क्षेत्र में प्लास्टिक के उपयोग को नियंत्रित करना।
✅ प्लास्टिक कचरे का पुनः उपयोग कर उसे गंगा में जाने से रोकना।
महाकुंभ 2025 को “हरित महाकुंभ” बनाने की पहल
- “एक थाली, एक थैला” अभियान के तहत गंगा को प्रदूषण से बचाने के प्रयास हुए।
- जल कलश के माध्यम से प्लास्टिक कचरे की समस्या को उजागर किया गया।
- पर्यावरण कार्यकर्ता रामबाबू तिवारी का कहना है कि गंगा की पवित्रता बनाए रखने के लिए समाज को विभिन्न स्तरों पर प्रयास करने होंगे।
महाकुंभ 2025 केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि “हरित और स्वच्छ कुंभ” के संकल्प के साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दे रहा है।