उत्तर प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र आज से शुरू हो गया, लेकिन पहले ही दिन सदन में भारी हंगामा देखने को मिला। खासकर, अवधी, भोजपुरी और बुंदेली जैसी क्षेत्रीय भाषाओं को सदन की कार्यवाही में शामिल करने को लेकर विवाद खड़ा हो गया।
विपक्ष का विरोध और सीएम योगी का जवाब
विधानसभा अध्यक्ष द्वारा हिंदी की उप-भाषाओं को सदन का हिस्सा बनाने की बात कही गई, जिस पर समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता माताप्रसाद पांडेय ने अंग्रेज़ी को भी कार्यवाही में शामिल करने की मांग की। इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीखी प्रतिक्रिया दी और विपक्ष के दोहरे रवैये पर सवाल उठाए।
सीएम योगी ने कहा,
“समाजवादियों का यही दोहरा चरित्र है। अपने बच्चों को इंग्लिश पब्लिक स्कूल में भेजेंगे और दूसरे के बच्चों को गांव के विद्यालय में पढ़ने को कहेंगे। अपने बच्चों को अंग्रेज़ी माध्यम में पढ़ाएंगे और दूसरे को कहेंगे उर्दू पढ़ाओ, कठमुल्ला-मौलवी बनाओ। यह नहीं चलेगा।”
समाजवादियों का चरित्र दोहरा हो चुका है,
ये अपने बच्चों को पढ़ाएंगे इंग्लिश स्कूल में और दूसरों के बच्चों के लिए कहेंगे उर्दू पढ़ाओ…
उसको मौलवी बनाना चाहते हैं, ‘कठमुल्लापन’ की ओर देश को ले जाना चाहते हैं,
ये नहीं चल सकता है… pic.twitter.com/8RGaWJdY1h
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) February 18, 2025
स्थानीय बोलियों को सम्मान देने की बात
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार अवधी, भोजपुरी, ब्रज, बुंदेली जैसी भाषाओं को सम्मान देने के लिए अलग-अलग अकादमियों का गठन कर रही है। उन्होंने कहा,
“ये सभी हिंदी की उप-भाषाएं हैं, यानी हिंदी की बेटियां हैं। यह सदन सिर्फ साहित्यिक या व्याकरण के विद्वानों के लिए नहीं है। यहां समाज के अलग-अलग तबकों से आए सदस्य होते हैं, जिन्हें अपनी भाषा में बोलने का अधिकार होना चाहिए।”
प्रवासी भारतीयों से जोड़कर विपक्ष पर हमला
सीएम योगी ने कहा कि इन बोलियों को सदन में स्थान देना ज़रूरी है, क्योंकि विदेशों में बसे भारतीय, खासकर मॉरीशस और फिजी में रहने वाले लोग, अवधी और भोजपुरी बोलते हैं। उन्होंने कहा,
“आप हर अच्छे कार्य का विरोध करते हैं। हम इसकी निंदा करते हैं। हमारी सरकार चाहती है कि सदन की कार्यवाही में भी इन भाषाओं को स्थान मिले।”
उत्तर प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन ही विपक्ष और सरकार के बीच भाषा को लेकर तीखी बहस छिड़ गई। योगी सरकार स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने पर ज़ोर दे रही है, जबकि विपक्ष इस पर सवाल खड़ा कर रहा है। अब देखना होगा कि इस मुद्दे पर आगे क्या रुख अपनाया जाता है।