कांगो में इस्लामी आतंकियों द्वारा किए जा रहे हमले अत्यंत भयावह और निंदनीय हैं। ISIS (इस्लामिक स्टेट) लंबे समय से अफ्रीकी महाद्वीप में अपनी जड़ें जमाने की कोशिश कर रहा है, और कांगो (डीआरसी) में उनका आतंक लगातार बढ़ रहा है।
मामले के प्रमुख बिंदु:
- ईसाइयों का नरसंहार: जनवरी और फरवरी 2025 में ISIS ने 150 से अधिक ईसाइयों की हत्या कर दी, जिनमें से कई का गला रेतकर चर्चों में ही मार दिया गया।
- ईसाई संगठनों पर हमले: सहायता कार्यकर्ताओं और ईसाई धर्मस्थलों को निशाना बनाया गया।
- ISIS की रणनीति: इस्लामी खिलाफत स्थापित करने के लिए विद्रोही समूहों के बीच मौजूद अस्थिरता का फायदा उठाया जा रहा है।
- सरकारी सुरक्षा की विफलता: कांगो में कमजोर सुरक्षा ढांचे के कारण आतंकी संगठन आसानी से हमले कर भाग जाते हैं।
ISIS और अफ्रीका में आतंकवाद:
अमेरिकी सरकार और संयुक्त राष्ट्र ने कांगो में सक्रिय ISIS संगठन को “इस्लामिक स्टेट – सेंट्रल अफ्रीका प्रॉविंस (ISCAP)” के रूप में सूचीबद्ध किया है। यह संगठन पूर्वी कांगो और युगांडा में सक्रिय है और अल-कायदा से जुड़े अन्य आतंकियों के साथ मिलकर नरसंहार कर रहा है।
क्या किया जाना चाहिए?
- अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप: संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और अन्य वैश्विक शक्तियों को कांगो सरकार की मदद करनी चाहिए।
- स्थानीय सेना को सशक्त बनाना: कांगो की सेना और पुलिस को आधुनिक हथियारों और प्रशिक्षण की जरूरत है।
- विद्रोही समूहों पर दबाव: पड़ोसी देश रवांडा पर भी दबाव बनाना होगा कि वह आतंकियों को समर्थन न दे।
- मानवीय सहायता: विस्थापित ईसाइयों के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों को आगे आना चाहिए।
कांगो में ईसाइयों का नरसंहार यह दर्शाता है कि ISIS अफ्रीका में अपनी जड़ें गहरी करने में सफल हो रहा है। इसे रोकने के लिए वैश्विक समुदाय को एकजुट होकर कठोर कदम उठाने होंगे।