मणिपुर में सुरक्षा बलों को सौंपे गए हथियारों की संख्या बढ़ रही है, जो संकेत देता है कि राज्य में हिंसा और अवैध हथियारों पर नियंत्रण पाने के लिए प्रशासन की रणनीति असर दिखा रही है। 87 आग्नेयास्त्र और गोला-बारूद विभिन्न जिलों में पुलिस को सौंपे गए, जिसमें सबसे अधिक हथियार इंफाल पश्चिम जिले में जमा हुए।
सौंपे गए हथियारों का ब्योरा
- इंफाल पश्चिम:
- 12 कार्बाइन मशीन गन
- .303 की दो राइफल
- दो एसएलआर राइफल
- 12 बोर ‘सिंगल बैरल’ की चार गन
- एक आईईडी
- जिरीबाम:
- 12 बोर ‘डबल बैरल’ बंदूक
- नौ मिमी कार्बाइन
- एक ग्रेनेड
- कांगपोकपी:
- एके-47 राइफल (दो मैगजीन सहित)
- .303 राइफल
- ‘स्मिथ एंड वेसन’ रिवॉल्वर
- .22 पिस्तौल
- ‘सिंगल बैरल’ राइफल
- ग्रेनेड
इसके अलावा, बिष्णुपुर, थौबल, इंफाल पूर्वी और चुराचांदपुर जिलों में भी लोगों ने पुलिस को हथियार सौंपे।
सरकार की सख्त चेतावनी
राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने 20 फरवरी को लोगों से आग्रह किया था कि वे लूटे गए या अवैध रूप से रखे गए हथियार 7 दिनों के भीतर पुलिस को सौंप दें। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस अवधि में आत्मसमर्पण करने वालों पर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी।
मणिपुर के मुख्य सचिव पी. के. सिंह ने साफ कहा कि 7 दिनों का समय पर्याप्त है, इसके बाद सुरक्षा बल कड़ी कार्रवाई करेंगे।
पृष्ठभूमि: हिंसा और राजनीतिक संकट
- मई 2023 से मेइती और कुकी-जो समुदायों के बीच जातीय हिंसा में 250 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।
- मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद 13 फरवरी को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया और विधानसभा को निलंबित कर दिया गया।
संभावित असर और आगे की राह
- सुरक्षा बलों की सख्ती: 7 दिन की समयसीमा के बाद, पुलिस और सुरक्षाबल अवैध हथियारों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान छेड़ सकते हैं।
- हथियारों की बरामदगी: अब तक की रिकवरी यह दिखाती है कि लोग सरकार की चेतावनी को गंभीरता से ले रहे हैं।
- राजनीतिक अनिश्चितता: राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद प्रशासन अब सुरक्षा और स्थिरता बहाल करने पर जोर दे रहा है।
मणिपुर में कानून व्यवस्था बहाल करने के लिए अवैध हथियारों को जमा कराना एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, लेकिन हिंसा की जड़ में मौजूद जातीय और राजनीतिक तनावों को हल किए बिना स्थायी समाधान संभव नहीं।