भारत ने पहली स्वदेशी नेवल एंटी-शिप मिसाइल (NASM-SR) का सफल परीक्षण कर अपनी नौसैनिक क्षमताओं में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। इस परीक्षण को DRDO और भारतीय नौसेना ने ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR) से अंजाम दिया।
NASM-SR की प्रमुख विशेषताएं:
- लॉन्च प्लेटफॉर्म:
- सी किंग हेलीकॉप्टर से लॉन्च किया गया।
- भविष्य में ALH (Advanced Light Helicopter) और अन्य नौसैनिक प्लेटफॉर्म से भी तैनात किया जा सकेगा।
- मारक क्षमता और सटीकता:
- सी-स्किमिंग मोड में समुद्र के पास उड़ान भरकर लक्ष्य को भेदने की क्षमता।
- मैन-इन-लूप तकनीक: टारगेट को लाइव मॉनिटर करके बदलने की क्षमता।
- प्रारंभ में बड़े लक्ष्य को लॉक किया, लेकिन अंतिम क्षणों में छोटे छिपे हुए लक्ष्य पर हमला किया।
- गाइडेंस और नेविगेशन:
- स्वदेशी इमेजिंग इंफ्रा-रेड सीकर (IIR) का उपयोग, जो अंतिम चरण में टारगेट की पहचान और मार्गदर्शन करता है।
- फाइबर ऑप्टिक जायरोस्कोप-आधारित इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS) और रेडियो अल्टीमीटर से लैस।
- संचार और नियंत्रण:
- हाई बैंडविड्थ टू-वे डेटा लिंक जिससे पायलट को मिसाइल के कैमरे की लाइव तस्वीर मिली।
- बियरिंग-ओनली लॉक-ऑन आफ्टर लॉन्च (BO-LOAL) मोड से कई संभावित लक्ष्यों में से एक चुनने की क्षमता।
- प्रणोदन प्रणाली:
- सॉलिड प्रणोदन प्रणाली जिसमें इन-लाइन इजेक्टेबल बूस्टर और लॉन्ग-बर्न सस्टेनर शामिल हैं।
- इलेक्ट्रो-मैकेनिकल एक्ट्यूएटर्स और जेट वेन के जरिए नियंत्रित किया जाता है।
DRDO and Indian Navy successfully flight tested Naval Anti Ship Missile Short Range (NASM-SR) on 25 Feb 2025 from ITR, Chandipur. The trials have proven the missile’s Man-in-Loop feature and scored a direct hit on a small Ship target in sea-skimming mode at its maximum range pic.twitter.com/ykNTYl2RKR
— DRDO (@DRDO_India) February 26, 2025
NASM-SR क्यों महत्वपूर्ण है?
- यह भारत की पहली नौसैनिक एंटी-शिप मिसाइल है, जो पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है।
- नौसेना के लिए एक हल्की, तेज और हेलीकॉप्टर-लॉन्चेबल एंटी-शिप मिसाइल का निर्माण आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम है।
- भारतीय नौसेना को बेहतर स्टैंड-ऑफ क्षमता मिलेगी, जिससे दुश्मन के जहाजों पर लंबी दूरी से हमला किया जा सकेगा।
- मौजूदा हार्पून और अन्य विदेशी मिसाइलों पर निर्भरता कम होगी।
DRDO और उद्योग जगत की भागीदारी
- इस मिसाइल को DRDO की कई प्रयोगशालाओं ने मिलकर विकसित किया है, जिनमें शामिल हैं:
- रिसर्च सेंटर इमारत (RCI)
- डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैब (DRDL)
- हाई एनर्जी मैटेरियल्स रिसर्च लेबोरेटरी (HEMRL)
- टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लेबोरेटरी (TBRL)
- निर्माण में MSME, स्टार्टअप्स और प्राइवेट सेक्टर की भी भागीदारी है।
भविष्य की दिशा
NASM-SR भारत की नौसैनिक युद्ध रणनीति में बड़ा बदलाव लाएगी। यह मिसाइल भविष्य में भारतीय युद्धपोतों और नौसैनिक हेलीकॉप्टरों के लिए एक स्टैंडर्ड वेपन बन सकती है। आगे चलकर NASM के मध्यम और लंबी दूरी वाले संस्करण (NASM-MR, NASM-LR) भी विकसित किए जा सकते हैं, जो सुपरसोनिक गति और हाइपरसोनिक क्षमता से लैस हो सकते हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफलता पर DRDO, नौसेना और भारतीय उद्योग जगत को बधाई दी है, जो भारत की आत्मनिर्भर रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करेगा।