यह मामला दर्शाता है कि यूरोप में इस्लामिक स्टेट खोरासन प्रांत (ISIS-K) जैसे आतंकवादी संगठनों की गतिविधियाँ अब भी एक गंभीर सुरक्षा चुनौती बनी हुई हैं। जर्मन अदालत द्वारा दोषी पाए गए ये दो अफगान नागरिक स्वीडिश संसद पर हमले और पुलिस अधिकारियों की हत्या की साजिश रच रहे थे।
Germany (🇩🇪): Two Afghan nationals, aged 30 and 24, have been handed prison sentences in Germany for planning an attack on the Swedish parliament and for supporting the Islamic State militant organisation, a regional court said on Thursday.
The older man, named only as Ibrahim… https://t.co/7aDhoyPeUH pic.twitter.com/SExxjkjVMF
— Vineet (@cozyduke_apt29) February 27, 2025
मुख्य बिंदु:
- साजिश का मकसद: इन आतंकियों ने कथित रूप से स्वीडन में कुरान जलाने की घटनाओं के प्रतिशोध में हमले की योजना बनाई थी।
- ISIS-K से संबंध: ये दोनों इस्लामिक स्टेट खोरासन प्रांत (ISIS-K) से जुड़े थे, जो अफगानिस्तान और आसपास के क्षेत्रों में सक्रिय एक घातक आतंकी संगठन है।
- हथियारों की तलाश: इन्हें चेक गणराज्य में हथियार प्राप्त करने की कोशिश के दौरान गिरफ्तार किया गया था।
- सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता: ये लोग लंबे समय से जर्मन अधिकारियों की निगरानी में थे, जिससे उनकी योजना विफल हो गई।
- कोर्ट का फैसला:
- 30 वर्षीय इब्राहीम एमजी को 5 साल 6 महीने की सजा।
- 24 वर्षीय रामिन एन को 4 साल 2 महीने की सजा।
ISIS-K: एक वैश्विक खतरा
ISIS-K (इस्लामिक स्टेट खोरासन प्रांत) संयुक्त राष्ट्र और कई देशों द्वारा आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है। यह समूह मुख्य रूप से अफगानिस्तान, पाकिस्तान और मध्य एशिया में सक्रिय है लेकिन इसके समर्थक यूरोप सहित कई अन्य देशों में भी देखे गए हैं।
BREAKING:
A German court today sentenced 2 Afghans linked to ISIS for planning a terror attack on the Swedish Parliament in retaliation for Quran burnings. The men planned to shoot MPs.
One was sentenced to 5.5 years, the other to 4.
They came as asylum seekers in 2015 & 2016 pic.twitter.com/WvOslMz8ej
— Visegrád 24 (@visegrad24) February 27, 2025
यूरोप में सुरक्षा उपाय
यूरोपीय देश अब ऐसे आतंकियों की पहचान और साजिशों को रोकने के लिए सुरक्षा और खुफिया निगरानी को और मजबूत कर रहे हैं। इस घटना से यह स्पष्ट है कि ऑनलाइन कट्टरपंथ और बाहरी संगठनों के प्रभाव से यूरोप में आतंकवाद का खतरा अब भी बना हुआ है।