प्रयागराज महाकुंभ 2025 के दौरान योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा विकसित किए गए पाँच धार्मिक कॉरिडोर उत्तर प्रदेश में आध्यात्मिक पर्यटन को एक नई दिशा देंगे। ये कॉरिडोर केवल धार्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं हैं, बल्कि राज्य में पर्यटन, बुनियादी ढांचे और आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देंगे।
पाँच धार्मिक कॉरिडोर और उनकी विशेषताएँ
- प्रयागराज-विंध्याचल-काशी कॉरिडोर – यह गलियारा शिव और शक्ति की आराधना को जोड़ता है। श्रद्धालु प्रयागराज से विंध्याचल देवीधाम होते हुए काशी (वाराणसी) तक जा सकेंगे।
- प्रयागराज-अयोध्या-गोरखपुर कॉरिडोर – यह रामनगरी अयोध्या को गुरु गोरखनाथ के तीर्थ गोरखपुर से जोड़ता है, जिससे वैष्णव और शैव परंपराओं का संगम होगा।
- प्रयागराज-लखनऊ-नैमिषारण्य कॉरिडोर – नैमिषारण्य धाम, जिसे 88,000 ऋषियों की तपस्थली माना जाता है, तक पहुंच को सुगम बनाएगा।
- प्रयागराज-राजापुर (बाँदा)-चित्रकूट कॉरिडोर – भगवान राम के वनवास स्थलों से जुड़ा यह कॉरिडोर चित्रकूट और गोस्वामी तुलसीदास की जन्मस्थली राजापुर को जोड़ेगा।
- प्रयागराज-मथुरा-वृंदावन-शुकतीर्थ कॉरिडोर – कृष्ण जन्मभूमि मथुरा-वृंदावन और दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य की तपस्थली शुकतीर्थ तक यात्रा को आसान बनाएगा।
इन धार्मिक कॉरिडोरों के संभावित प्रभाव
- पर्यटन को बढ़ावा – लाखों श्रद्धालु इन स्थलों की यात्रा करेंगे, जिससे स्थानीय व्यवसायों को लाभ मिलेगा।
- आर्थिक विकास – होटल, रेस्टोरेंट, परिवहन सेवाओं और हस्तशिल्प उद्योग को नई संभावनाएँ मिलेंगी।
- आध्यात्मिक एकता – वैष्णव, शैव और शक्तिपीठों को जोड़ने से धार्मिक समरसता को बढ़ावा मिलेगा।
- बुनियादी ढांचे का विकास – सड़कों, परिवहन और अन्य सुविधाओं के विस्तार से क्षेत्रीय विकास तेज़ होगा।