हरियाणा के फरीदाबाद जिले के पाली गाँव में गुजरात और हरियाणा की एटीएस टीमों ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए एक संदिग्ध आतंकी, अब्दुल रहमान, को गिरफ्तार किया है। अब्दुल पर आरोप है कि वह अयोध्या के राम मंदिर पर हमले की साजिश रच रहा था, और उसके पास से दो हैंड ग्रेनेड भी बरामद हुए हैं। वह पिछले 10 महीनों से इस्लामिक स्टेट-ISKP से जुड़ा था और ऑनलाइन ट्रेनिंग ले रहा था। गिरफ्तारी के समय, अब्दुल फरीदाबाद में ‘शंकर’ नाम से छिपा हुआ था।
रिपोर्ट्स के अनुसार, अब्दुल का कनेक्शन जमात और निजामुद्दीन मरकज से भी सामने आया है। करीब छह महीने पहले वह अयोध्या गया था, जहाँ वह मौलाना उस्मान हजरत के संपर्क में आया। इसके बाद वह दिल्ली के मरकज और फिर विशाखापट्टनम तक गया। चार महीने बाद वह गाँव लौटा।
पुलिस को शक है कि मरकज में रहते हुए वह परवेज अहमद उर्फ पीके से मिला, जो जम्मू में लश्कर और हिजबुल जैसे आतंकी संगठनों के लिए पैसों का इंतजाम करता था। एटीएस ने पीके को 27 फरवरी 2025 को निजामुद्दीन स्थित एक गेस्ट हाउस से पकड़ा था। उससे पूछताछ के बाद रहमान के बारे में पता चला। अब्दुल को करीब 10 महीने पहले ISKP मॉड्यूल ने ऑनलाइन ट्रेनिंग दी थी, जिसमें वीडियो कॉल के जरिए उसे हथियार चलाने और हमले की प्लानिंग सिखाई गई। राम मंदिर पर हमला उसका सबसे बड़ा टारगेट था।
अब्दुल रहमान अयोध्या के थाना इनायतनगर के मंजनाई गाँव का रहने वाला है। उसका जन्म 28 अगस्त 2005 को हुआ था। उसने अपनी पढ़ाई 10वीं तक मनीराम यादव इंटर कॉलेज, मंजनाई से की। गाँव वालों के मुताबिक, अब्दुल पाँच वक्त का नमाजी था और मजहबी कामों में हिस्सा लेता था। उसकी माँ यास्मीन बताती हैं कि अब्दुल ई-रिक्शा चलाता था और घर पर भी कुछ न कुछ बनाता रहता था। उसका पिता अबू बकर मुर्गा काटता है और घर पर ही चिकन शॉप चलाता है।
अब्दुल के फोन से कई धार्मिक स्थलों की तस्वीरें और वीडियो मिले हैं। वह चार-पाँच दिन पहले मरकज जाने की बात कहकर घर से निकला था। इस मामले में फरीदाबाद के डबुआ थाने में केस दर्ज हुआ है, जहाँ से अब्दुल रहमान को गुजरात एटीएस उठाकर ले गई है।
यह घटना राम मंदिर की सुरक्षा के प्रति बढ़ती चुनौतियों को उजागर करती है। पिछले कुछ समय में राम मंदिर को निशाना बनाने की धमकियाँ मिलती रही हैं। उदाहरण के लिए, नवंबर 2024 में खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने राम मंदिर पर हमले की धमकी दी थी, जिसके बाद अयोध्या में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी। इसके अलावा, जून 2024 में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने भी राम मंदिर को उड़ाने की धमकी दी थी, जिसके बाद राज्य सरकार ने अलर्ट जारी किया था।
इन घटनाओं के मद्देनजर, सुरक्षा एजेंसियाँ राम मंदिर और अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सतर्क हैं। अब्दुल रहमान की गिरफ्तारी से संभावित हमले को टालने में सफलता मिली है, लेकिन यह घटना सुरक्षा बलों के लिए एक चेतावनी है कि आतंकी संगठन अपने मंसूबों को अंजाम देने के लिए लगातार प्रयासरत हैं।