राहुल गांधी के खिलाफ लखनऊ की अदालत का यह फैसला दर्शाता है कि अदालत उनकी पेशी को लेकर गंभीर है। वीर सावरकर पर दिए गए बयान को लेकर दायर केस में लगातार पेशी से अनुपस्थित रहने पर अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (ACJM) कोर्ट ने ₹200 का जुर्माना लगाया और उन्हें 14 अप्रैल 2025 को अनिवार्य रूप से हाजिर होने का निर्देश दिया। अगर वे अगली बार भी पेश नहीं होते हैं, तो कठोर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
मामले की पृष्ठभूमि
- राहुल गांधी ने अकोला (महाराष्ट्र) की प्रेस कॉन्फ्रेंस में वीर सावरकर को लेकर विवादित बयान दिया था।
- उन्होंने सावरकर को ‘अंग्रेजों का नौकर’ और ‘पेंशन लेने वाला’ बताया था, जिससे विवाद खड़ा हो गया।
- इस बयान के खिलाफ नृपेन्द्र पांडे ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153(A) और 505 के तहत मामला दर्ज करने की मांग की थी।
राहुल गांधी की सफाई और कोर्ट की सख्ती
- राहुल गांधी के वकील प्रांशु अग्रवाल ने पेशी से छूट की अर्जी दाखिल की।
- उनका तर्क था कि राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं और दिल्ली में महत्वपूर्ण बैठक होने के कारण कोर्ट में उपस्थित नहीं हो सके।
- लेकिन कोर्ट ने यह अर्जी नामंजूर करते हुए उन्हें 14 अप्रैल को अनिवार्य रूप से हाजिर होने का आदेश दिया।
राजनीतिक और कानूनी असर
1️⃣ वीर सावरकर पर दिए गए बयानों को लेकर बीजेपी और शिवसेना (शिंदे गुट) लगातार राहुल गांधी पर हमलावर रही है।
2️⃣ इस मामले में कानूनी कार्रवाई आगे बढ़ी तो राहुल गांधी को कोर्ट में नियमित रूप से पेश होना पड़ सकता है, जिससे उनके राजनीतिक कार्यक्रमों पर असर पड़ सकता है।
3️⃣ यह मामला 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद भी गरमाया हुआ है, जिससे महाराष्ट्र और अन्य राज्यों की राजनीति प्रभावित हो सकती है।
अब देखना होगा कि राहुल गांधी 14 अप्रैल को कोर्ट में पेश होते हैं या नहीं, और यदि नहीं, तो अदालत उनके खिलाफ क्या कड़ा कदम उठाती है।