महाराष्ट्र सरकार ने आनंद विवाह अधिनियम को लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में यह निर्णय लिया गया, जिससे राज्य में सिख समुदाय के विवाह को कानूनी मान्यता मिल सकेगी।
क्या है आनंद विवाह अधिनियम?
- आनंद विवाह अधिनियम, 1909 ब्रिटिश काल में बना था, लेकिन इसे तब लागू नहीं किया गया।
- सिख समुदाय के विवाह को कानूनी रूप से हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत पंजीकृत किया जाता था।
- 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी धर्मों के लिए विवाह पंजीकरण अनिवार्य किया, जिसके बाद सिख समुदाय ने आनंद विवाह अधिनियम को लागू करने की मांग उठाई।
- 2012 में संसद ने आनंद विवाह संशोधन विधेयक पारित किया, जिससे सिख विवाहों का अलग से पंजीकरण संभव हुआ।
कैसे होता है आनंद विवाह?
🔹 हिंदू विवाह के विपरीत इसमें कुंडली मिलान या मुहूर्त नहीं देखा जाता।
🔹 विवाह गुरुद्वारे में गुरुग्रंथ साहिब के समक्ष संपन्न होता है।
🔹 इसमें चार फेरे होते हैं, जिन्हें लवाण, लावा या फेरे कहा जाता है।
🔹 विवाह के दौरान अरदास चलती रहती है और फिर गुरुग्रंथ साहिब के आगे शीश झुका कर विवाह संपन्न होता है।
🔹 इसके बाद प्रसाद बांटा जाता है और विवाह पूर्ण माना जाता है।
महाराष्ट्र में लागू होने से क्या होगा फायदा?
✅ सिख समुदाय को अपनी धार्मिक परंपराओं के अनुरूप विवाह पंजीकरण का अधिकार मिलेगा।
✅ अब आनंद विवाह हिंदू विवाह अधिनियम के तहत नहीं बल्कि अलग से मान्य होगा।
✅ सिख समुदाय की सांस्कृतिक पहचान को कानूनी मान्यता मिलेगी।
महाराष्ट्र में इस कानून के लागू होने से सिख समाज को उनके धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार विवाह करने और उसका स्वतंत्र रूप से पंजीकरण कराने की सुविधा मिलेगी।