हैदराबाद में फर्जी कॉल सेंटर का पर्दाफाश, 63 गिरफ्तार
तेलंगाना साइबर सुरक्षा ब्यूरो (TGCSB) ने हाईटेक सिटी, हैदराबाद में संचालित फर्जी कॉल सेंटर पर बड़ी कार्रवाई करते हुए 63 लोगों को गिरफ्तार किया। यह गिरोह PayPal ग्राहक सेवा प्रतिनिधि बनकर मुख्य रूप से अमेरिकी और एनआरआई नागरिकों को निशाना बना रहा था।
ऑपरेशन और गिरफ्तारी:
- कब: बुधवार आधी रात
- कहां: हाईटेक सिटी, हैदराबाद
- कैसे: कॉल सेंटर जनवरी 2025 से सक्रिय था, रात 8 बजे से सुबह 4 बजे तक काम करता था।
- गिरफ्तार लोग: 63 आरोपी, जिनमें अधिकांश नॉर्थ ईस्ट भारत से हैं।
- मुख्य आरोपी:
- चंदा मनस्विनी (हैदराबाद) – एक्सिटो सॉल्यूशंस की प्रबंध निदेशक
- अक्षत थापा (मेघालय), आनंद कुमार (बिहार), अचिची (36 वर्ष), अपेजी अपोन (29 वर्ष) सहित अन्य नागालैंड, मणिपुर, असम, बिहार और पश्चिम बंगाल से।
ठगी का तरीका:
- कॉल सेंटर के कर्मचारी PayPal के फर्जी प्रतिनिधि बनकर अमेरिकी नागरिकों से संपर्क करते थे।
- पीड़ितों को बताया जाता कि उनके खाते में अनधिकृत लेनदेन हुआ है।
- उन्हें “धोखाधड़ी रोकथाम टीम” से संपर्क करने को कहा जाता (जो वास्तव में स्कैमर्स थे)।
- कॉल के दौरान पीड़ितों को बैंकिंग डिटेल साझा करने या “सुरक्षित खाते” में धन ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया जाता।
- पैसा सीधे फर्जी खातों में चला जाता, जिसे बाद में क्रिप्टोकरेंसी में बदल दिया जाता ताकि ट्रैक न किया जा सके।
मास्टरमाइंड और नेटवर्क:
- मुख्य मास्टरमाइंड:
- कैवन पटेल उर्फ जादू भाई (गुजरात)
- विक्की (दुबई) और अजाद (अमेरिका)
- यह गिरोह PayPal से चुराए गए ग्राहक डेटा का उपयोग कर अमेरिकी पीड़ितों से ठगी करता था।
- कॉल सेंटर संचालन:
- चंदा मनस्विनी (हैदराबाद) और उनके सहयोगी राहुल उर्फ प्रतीक, ला भाई द्वारा नियंत्रित।
- संजू, जेम्स, प्रवीण – नए भर्ती कर्मचारियों को ठगी करने का प्रशिक्षण देते थे।
- भर्तीकर्ता जस्टिन – सोशल मीडिया (LinkedIn, Instagram, Facebook) के जरिए नए लोगों की भर्ती करता था।
पुलिस कार्रवाई और जब्ती:
- 52 मोबाइल फोन, 63 लैपटॉप, 27 पहचान पत्र जब्त।
- पुलिस अन्य संदिग्धों (जस्टिन और जादू भाई सहित) की तलाश कर रही है।
TGCSB ने बड़े साइबर ठगी नेटवर्क का पर्दाफाश कर दिया है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर PayPal उपयोगकर्ताओं को निशाना बना रहा था। गिरफ्तार आरोपियों में अधिकतर नॉर्थ ईस्ट भारत से हैं, जिन्हें आकर्षक वेतन का लालच देकर भर्ती किया गया था। इस रैकेट में क्रिप्टोकरेंसी के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग के संकेत मिले हैं, जिससे इसका दायरा और बढ़ सकता है।