अमित शाह के तमिल भाषा, संस्कृति और शिक्षा को लेकर दिए गए बयान से साफ संकेत मिलता है कि केंद्र सरकार तमिलनाडु में भाषा विवाद को शांत करने और तमिल भाषा को प्रोत्साहित करने की रणनीति पर काम कर रही है।
मुख्य बिंदु:
- तमिल में इंजीनियरिंग और मेडिकल शिक्षा की अपील:
- गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन से तमिल भाषा में इंजीनियरिंग और मेडिकल शिक्षा शुरू करने की अपील की।
- यह बयान ऐसे समय आया जब डीएमके (द्रमुक) हिंदी थोपने का आरोप लगा रही है।
- यह केंद्र सरकार का संकेत हो सकता है कि तमिल भाषा को सम्मान दिया जाएगा और हिंदी की अनिवार्यता नहीं होगी।
- तमिल को लेकर अमित शाह की सराहना:
- शाह ने तमिलनाडु की संस्कृति को भारतीय संस्कृति की धारा को मजबूत करने वाला बताया।
- उन्होंने तमिल भाषा को ‘भारत की विरासत का अमूल्य रत्न’ कहा।
- सीआईएसएफ प्रशिक्षण केंद्र का नामकरण तमिल योद्धा ‘राजा आदित्य चोल’ के नाम पर होना तमिल गौरव को सम्मान देने का संकेत।
- भाषा विवाद और केंद्र सरकार की रणनीति:
- डीएमके सरकार ने हिंदी को थोपे जाने का आरोप लगाया, जबकि केंद्र सरकार ने इसे नकार दिया।
- शाह ने याद दिलाया कि सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) परीक्षाएं अब क्षेत्रीय भाषाओं में भी दी जा सकती हैं।
- यह तमिल सहित अन्य भारतीय भाषाओं के महत्व को दर्शाने के लिए एक रणनीतिक कदम हो सकता है।
- राष्ट्रीय एकता और तमिलनाडु का योगदान:
- शाह ने तमिलनाडु की भूमिका को शिक्षा, आध्यात्मिकता और राष्ट्रीय एकता के लिए महत्वपूर्ण बताया।
- सीआईएसएफ बल की प्रशंसा करते हुए कहा कि 2047 तक भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में इसकी अहम भूमिका होगी।
राजनीतिक संदेश और संभावित असर:
✅ भाजपा तमिलनाडु में तमिल भाषा और संस्कृति को लेकर सकारात्मक संदेश देना चाहती है।
✅ तमिल में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देकर डीएमके के हिंदी-विरोधी अभियान को संतुलित करने की कोशिश।
✅ सीआईएसएफ जैसे मंच से तमिल गौरव का उल्लेख कर भाजपा राज्य में अपनी स्वीकार्यता बढ़ाना चाहती है।
✅ भाषा के बजाय ‘राष्ट्रवाद और विकास’ के मुद्दे को प्रमुख बनाने की रणनीति।