भारत और रूस के अच्छे संबंध से यूरोपीय देश परेशान होते दिख रहे हैं. रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग के बावबूद दोनों देशों के रिश्तों में बदलाव नहीं आया है. यूरोप को यह नजदीकियां आए दिन खल रही हैं. अब भारत दौरे पर आने से पहले जर्मनी के रक्षा मंत्री ने इसे लेकर चिंता जताई है.
जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस दिल्ली पहुंच चुके हैं. वह चार दिन के दौरे पर आए हैं. इससे पहले उन्होंने जर्मनी के न्यूज पोर्टल डायचे वेले को दिए इंटरव्यू में कहा है कि हथियारों की खरीद पर भारत का रूस पर निर्भर रहना जर्मनी के लिए सही नहीं है. भारत रूस से ही सबसे ज्यादा हथियार खरीद रहा है और पिछले साल से रूस हमें सस्ते दाम में कच्चा तेल भी मुहैया करा रहा है.
पिस्टोरियस ने कहा है कि चीजें बदलना अकेले जर्मनी के हाथ में नहीं है. इस मुद्दे को मिलकर ही सुलझाया जा सकता है. अगर भारत लंबे समय तक हथियारों व अन्य सामग्री पर रूस पर निर्भर रहता है तो यह सही नहीं होगा. भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए उन्होंने कहा है कि हम अपने साझेदारों का सहयोग करना चाहते हैं.
भारत दौरे पर आए पिस्टोरियस ने यह भी कहा है कि इस दौरान वह भारत को पनडुब्बी बेचने की भी कोशिश करेगा. उनके साथ जर्मन डिफेंस सेक्टर के कई प्रतिनिधि भी शामिल हैं और भारत को जर्मनी में बनी 6 पनडुब्बियां देने की योजना है. दरअसल फ्रांस के पीछे हटने के बाद से जर्मनी की संभावनाएं बढ़ गई हैं. जर्मनी यूं तो हथियारों के निर्यात पर सख्त रवैया अपनाता है, लेकिन यूक्रेन युद्ध के बाद उसने इसमें छूट दी है. यह डील 43000 करोड़ रुपये की है.
जर्मनी ने साल 2021 में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपना एक जंगी जहाज तैनात किया था. अगले साल वह एक और जंगी जहाज यहां तैनात करने जा रहा है. पिस्टोरियस ने कहा है कि जर्मनी की योजना भारत के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास करने की भी है.
रूस बरसों से भारत का साझेदार रहा है. रूस के सबसे ज्यादा हथियार भारत ही खरीदता है. तीनों सेनाओं में 80 फीसदी से ज्यादा हथियार रूसी ही हैं. सुखोई, मिग और एस-400 हमें रूस ही दे रहा है. जबकि दूसरी ओर जर्मनी और भारत के रिश्ते ना तो कभी खराब रहे हैं और ना ही कभी बहुत ज्यादा अच्छे. दोनों देशों में बीते 70 साल से बातचीत हो रही है. फिर भी कहीं न कहीं सहयोग की कमी हमेशा दिखती है.