अफगानिस्तान में बच्च्यिों, युवतियों, महिलाओं पर तालिबानी दमन चक्र जारी है। पिछले दिनों वहां स्कूली बच्चियों को जहर दिए जाने की एक के बाद एक घटनाएं प्रकाश में आई हैं, लेकिन इस्लामी शरिया को मानने वाले कट्टर मजहबी लड़ाकों की हुकूमत के कान पर जूं तक न रेंगी। यही वजह है कि वहां एक बार फिर से वैसी ही घटनाएं देखने में आई हैं। वहां बीते दिनों दो स्थानों पर कुल 77 स्कूली बच्चियों को जहर दिया गया है
ये दोनों हैरान करने वाली घटनाएं उत्तरी अफगानिस्तान के दो स्कूलों में घटी हैं। इन बच्चियों की हालत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया। पता चला है कि घटनाएं बीते शनिवार तथा रविवार को हुई हैं। उस वक्त ये बच्चियां स्कूल में ही थीं। बच्चियों के माता—पिता के तो होश उड़े हुए हैं क्योंकि तालिबानी सरकार ने भले ही ‘घटना की जांच के आदेश दे दिए’ हैं लेकिन आम अफगानी जानते हैं कि पहले की तरह इसके भी अपराधी नहीं पकड़े जाने वाले हैं।
प्राप्त समाचारों के अनुसार, स्कूलों में उन बच्चियों को किसी आदमी ने कथित तौर पर दुश्मनी निकालने के लिए जहर दिया है। इससे ज्यादा जानकारी के पास नहीं है और हो भी नहीं सकती, क्योंकि तालिबान के बारे में सब जानते हैं कि वे नहीं चाहते बच्चियों की छठी कक्षा के आगे तालीम हो। ‘इस्लामी कायदों में लड़कियों की तालीम हराम’ जो है!
ताजा घटनाएं सर-ए-पुल राज्य के अंतर्गत संगचरक जिले के स्कूल से है। सूबे के शिक्षा विभाग प्रमुख मोहम्मद रहमानी का कहना है कि नसवान-ए-काबोद स्कूल में 60 तो नसवान-ए-फैजाबाद स्कूल में 17 लड़कियों की हालत किसी के द्वारा जहर दिए जाने के बाद बिगड़ गई थी। रहमानी का कहना है कि ‘मामले की जांच के आदेश’ दे दिए गए हैं। रहमानी के अनुसार, किसी बाहरी आदमी ने दुश्मनी निकालने के लिए यह कृत्य किया है। बताया गया कि प्रभावित बच्चियां पहली से छठी क्लास तक में पढ़ती हैं।
अफगानिस्तान के प्रसिद्ध चैनल टोलो न्यूज ने बताया है कि देश में अब तक करीब 10 हजार से ज्यादा स्कूली बच्चियों को इसी तरह जहर दिया जा चुका है। ऐसी एक बड़ी घटना 2016 में काबुल में घटी थी जहां 200 लड़कियों को जहर दिया गया था। यह ‘जहर हमला’ काबुल के सात जिलों में हुआ था। कई स्कूलों की बच्चियों की जहर की वजह से हालत गंभीर हो गई थी। उस दौरान 8-22 साल तक की छात्राओं को जहर दिए जाने का पता चला था। जिन सूबों में स्कूली बच्चियों पर ‘जहर हमले’ किए गए हैं उनमें काबुल, खोस्त, बामियान, तखर तथा सर-ए-पुल प्रमुख हैं। एक अंदाजे के अनुसार, इन सूबों में लगभग 10,100 छात्राएं इसकी चपेट में आई थीं।