राजधानी दिल्ली में बीजेपी सरकार बड़ा फैसला लिया है. रेखा सरकार ने आम आदमी पार्टी की तरफ सेदिल्ली सरकार की समितियों और अन्य बोर्ड्स में मनोनीत सदस्यों और पदाधिकारियो की कुल 177 नियुक्ति को रद्द कर दिया है. यह नियुक्तियां आप सरकार में दिल्ली सरकार के बोर्ड, समितियों समेत अन्य संवैधानिक संस्थाओं जहां दिल्ली सरकार सदस्य और पदाधिकारी मनोनीत करती है उन जगहों पर की गई थी. इन सभी नियुक्तियों को रद्द करते हुए बीजेपी सरकार ने आम आदमी पार्टी पर बड़ा आरोप लगाया है.
आदेश के मुताबिक, दिल्ली सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड, पशु कल्याण बोर्ड, दिल्ली हज समिति, तीर्थ यात्रा विकास समिति, उर्स समिति, हिंदी अकादमी, उर्दू अकादमी, साहित्य कला परिषद, पंजाबी अकादमी, संस्कृत अकादमी समेत कुल 17 संवैधानिक संस्थाओं में आप सरकार की मनोनीत नियुक्तियों को रद्द किया है और जिन लोगों की नियुक्ति रद्द हुई है उसमें ज्यादातर आम आदमी पार्टी के विधायक पूर्व विधायक और पदाधिकारी थे.
बीजेपी सरकार का बड़ा फैसला: 177 नियुक्तियाँ रद्द
🔹 | विवरण |
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राज्य | दिल्ली |
फैसला | आम आदमी पार्टी (AAP) की पिछली सरकार द्वारा की गई 177 राजनीतिक नियुक्तियाँ रद्द |
संस्थाएँ/बोर्ड्स | कुल 17 प्रमुख संस्थाएँ, जैसे – दिल्ली जल बोर्ड, हज कमेटी, हिंदी/उर्दू अकादमी, तीर्थयात्रा समिति आदि |
टारगेट | नियुक्त लोगों में अधिकतर AAP विधायक, पूर्व विधायक, नेताओं के रिश्तेदार |
कारण | बीजेपी सरकार का आरोप – “राजनीतिक लाभ के लिए की गई नियुक्तियाँ” |
कौन-कौन नियुक्त हुए थे?
🧑💼 नाम | 📌 पद |
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पवन राणा (AAP विधायक) | दिल्ली जल बोर्ड चेयरमैन |
विनय मिश्रा (AAP विधायक) | दिल्ली जल बोर्ड वाइस चेयरमैन |
प्रीति तोमर (पत्नी, जितेंद्र तोमर) | जल बोर्ड सदस्य |
अब्दुल रहमान, हाजी यूनुस | हज कमेटी सदस्य |
जरनैल सिंह (AAP विधायक) | पंजाबी अकादमी वाइस चेयरमैन |
गोपाल राय (AAP मंत्री) | एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड अध्यक्ष |
आदिल अहमद खान, अजेश यादव | सदस्य, विभिन्न समितियाँ |
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
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बीजेपी का आरोप: AAP ने सरकारी संस्थाओं का दुरुपयोग कर अपने नेताओं को लाभ पहुंचाया। नियुक्तियाँ राजनीतिक और पक्षपातपूर्ण थीं।
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AAP की संभावित प्रतिक्रिया: इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया जा सकता है; हालांकि अब तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
इस फैसले के व्यापक मायने
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राजनीतिक नियुक्तियों की समीक्षा का संकेत – अब बाकी राज्यों में भी इस पर असर पड़ सकता है।
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संविधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता और पारदर्शिता पर जोर।
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आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों की पृष्ठभूमि में राजनीतिक समीकरणों में बदलाव की शुरुआत।