पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद हिंसा पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सख्त बयान आया है. योगी ने मंगलवार को दंगाइयों पर निशाना साधते हुए कहा कि जिसे बांग्लादेश पसंद है, उसे वहीं चला जाना चाहिए. योगी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में दंगाइयों पर सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते हैं. दंगाई डंडे से ही मानेंगे.
सीएम योगी ने कहा, ‘पूरा मुर्शिदाबाद एक हफ्ते से जल रहा है. सरकार मौन है. सब लोग मौन हैं. कौन मौन है दंगो पर. समाजवादी पार्टी मौन है. वे धमकी से धमकी दे रहे हैं. बांग्लादेश में जो कुछ हुआ, उसका समर्थन किया जा रहा है. अगर उन्हें बांग्लादेश पसंद है, तो उन्हें बांग्लादेश ही जाना चाहिए. क्यों भारत की धरती पर बोझा बने हुए हो.’
उत्तर प्रदेश – 2017 से पहले और बाद की स्थिति
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आपने ज़िक्र किया कि 2017 से पहले यूपी में हर दूसरे-तीसरे दिन दंगे होते थे।
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यह बात बीजेपी सरकार और विशेषकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा कई बार दोहराई गई है कि उनकी सरकार आने के बाद:
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दंगों में भारी कमी आई,
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अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हुई,
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और “डंडे की भाषा” में बात कर कानून व्यवस्था बहाल की गई।
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यह नीति समर्थकों के लिए कठोर लेकिन प्रभावी रही है, वहीं आलोचक इसे अत्यधिक बल प्रयोग या मानवाधिकार उल्लंघन भी कहते हैं।
पश्चिम बंगाल – मुर्शिदाबाद और वक्फ संपत्ति का मुद्दा
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मुर्शिदाबाद में हालिया हिंसा को लेकर बीजेपी ने ममता सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
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सुकांत मजूमदार का दावा है कि:
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वक्फ की ज़मीनों पर टीएमसी नेताओं का कब्जा है,
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राज्य सरकार की शह पर ही कानून का विरोध किया जा रहा है,
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और ममता बनर्जी “हिंसा को दबाने की जगह, राजनीतिक लाभ के लिए उसका इस्तेमाल कर रही हैं।”
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यह सीधे तौर पर राजनीतिक ध्रुवीकरण और वोट बैंक की राजनीति से जुड़ा मसला बनता जा रहा है।
क्या कहता है बड़ा परिप्रेक्ष्य?
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जहां एक ओर यूपी सरकार “कठोर नियंत्रण” की मिसाल बनाना चाहती है,
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वहीं पश्चिम बंगाल की राजनीति में सांप्रदायिकता बनाम सेक्युलरिज़्म का मुद्दा अक्सर तूल पकड़ता है।