केंद्र का जवाब आने तक यथास्थिति बनी रहेगी: SC: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौजूदा स्थिति में कोई बदलाव हो। सरकार के जवाब तक यथास्थिति बनी रहेगी। इसके साथ ही अगले आदेश तक नई नियुक्तियां भी नहीं होगी।
सुप्रीम कोर्ट का यह बयान वक्फ कानून से जुड़ी उन याचिकाओं के सिलसिले में आया है जिनमें वक्फ अधिनियम (Waqf Act) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है।
इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने कहा:
“जब मामला कोर्ट में लंबित है, तो मौजूदा स्थिति में कोई बदलाव नहीं होना चाहिए।”
कोर्ट की मुख्य बातें:
-
यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश: जब तक मामले का अंतिम निर्णय नहीं हो जाता, तब तक कोई नई नियुक्ति (जैसे वक्फ बोर्ड या काउंसिल के सदस्य) नहीं की जाएगी।
-
वक्फ बाय यूजर में भी कोई बदलाव नहीं होगा, यानी किसी संपत्ति को “वक्फ” घोषित करने की प्रक्रिया में बदलाव पर भी रोक रहेगी।
-
सॉलिसिटर जनरल का बयान: केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट से दस्तावेज़ पेश करने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा और भरोसा दिलाया कि सरकार इस दौरान कोई नियुक्ति नहीं करेगी।
पृष्ठभूमि:
-
70 से अधिक याचिकाएं वक्फ कानून के खिलाफ दायर की गई हैं।
-
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वक्फ कानून धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ है और यह मुस्लिम समुदाय को विशेष अधिकार देता है, जो कि संविधान की दृष्टि से भेदभावपूर्ण हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि वह वक्फ कानून के खिलाफ दायर 70+ याचिकाओं में केवल “मुख्य पांच आपत्तियों” पर ही सुनवाई करेगी। इसका मतलब यह है कि अदालत इन याचिकाओं में उठाए गए सैकड़ों छोटे-बड़े मुद्दों को नहीं, बल्कि केवल सबसे महत्वपूर्ण और संवैधानिक सवालों को ही सुनेगी।
तो अब सवाल ये है — वे मुख्य पांच आपत्तियाँ क्या हैं?
हालांकि कोर्ट ने अभी औपचारिक रूप से उन पाँच बिंदुओं को अंतिम रूप नहीं दिया है (यह प्रक्रिया अभी चल रही है), लेकिन याचिकाओं और बहसों के आधार पर संभावित 5 प्रमुख आपत्तियाँ ये हो सकती हैं:
1. वक्फ अधिनियम केवल एक धर्म विशेष के लिए क्यों?
-
आपत्ति यह है कि वक्फ अधिनियम (Waqf Act) सिर्फ मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संपत्तियों के लिए बना है, जबकि हिंदू, सिख, ईसाई या अन्य धर्मों के लिए ऐसी कोई विशेष कानूनी व्यवस्था नहीं है।
-
इसे संविधान के धर्मनिरपेक्षता और समानता (Article 14) के खिलाफ बताया जा रहा है।
2. वक्फ बोर्ड को न्यायिक अधिकार क्यों?
-
वक्फ बोर्ड को कुछ मामलों में अर्ध-न्यायिक शक्तियाँ दी गई हैं, जैसे किसी संपत्ति को वक्फ घोषित करना।
-
याचिकाकर्ता कह रहे हैं कि ये न्यायपालिका की शक्तियों का अतिक्रमण है।
3. ‘वक्फ बाय यूजर’ की वैधता पर सवाल
-
बिना दस्तावेज़ी सबूत के, केवल लंबे समय तक उपयोग के आधार पर किसी संपत्ति को ‘वक्फ’ घोषित किया जा सकता है — यह प्रावधान विवादित है।
-
इससे निजी संपत्ति के अधिकार (Right to Property) का उल्लंघन होने की बात कही जा रही है।
4. सरकारी संपत्तियों को वक्फ घोषित करना
-
कई मामलों में वक्फ बोर्ड ने सरकारी या सार्वजनिक संपत्तियों पर भी दावा किया है।
-
इस पर आपत्ति है कि ये राज्य के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप है।
5. वक्फ अधिनियम में अपील की सीमाएं
-
वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसलों को चुनौती देने का दायरा सीमित है, जिससे न्याय पाने का अधिकार (Access to Justice) प्रभावित हो सकता है।
अब आगे क्या होगा?
-
कोर्ट पहले इन पाँचों प्रमुख संवैधानिक सवालों की सुनवाई करेगा।
-
केंद्र सरकार और वक्फ बोर्ड से इन बिंदुओं पर जवाब माँगा गया है।
-
अगली सुनवाई की तारीख में, ये तय हो सकता है कि बहस किस-किस मुद्दे पर केंद्रित रहेगी।