बिहार के लखीसराय से हाल ही में लव जिहाद का एक मामला सामने आया है। एक हिन्दू युवती ने सरकारी क्लर्क कमाल अशरफ पर हिन्दू बन कर उसे फँसाने, यौन संबंध बनाने और नमाज पढ़ने के साथ गौमांस खाने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया है। इस मामले में दर्ज की गई FIR की कॉपी से और भी चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। कमाल अशरफ बताता था कि हिन्दू लड़कियों को फँसाना और उन्हें सम्भोग का वस्तु बना कर रखना उन लोग (मुस्लिम) का शौक है।
16 वर्ष की आयु में बनाया निशाना
सूर्यगढ़ा थाने में इस मामले में दर्ज की गई FIR की कॉपी मौजूद है। FIR में हिन्दू पीड़िता ने बताया है कि आरोपित कमाल अशरफ उसे 2012 में भगा ले गया था, तब वह 16 वर्ष की थी। हिन्दू पीड़िता को उस समय कमाल अशरफ ने अपने आप को राजस्थान का रहने वाला सुमित बताया था। अशरफ एक सरकारी स्कूल में क्लर्क के तौर पर तैनात है। हिन्दू पीड़िता ने बताया कि उसे इसके बाद अशरफ ने आसनसोल और जमुई में रखा।
कमाल अशरफ इस दौरान सुमित बन कर ही हिन्दू लड़की का यौन शोषण करता रहा। FIR में बताया गया है कि कमाल अशरफ हिन्दू पीड़िता को इसके बाद दबाव डाल कर एक बार कोर्ट ले गया और जबरदस्ती शादी करने बयान दिलवा दिया। कमाल अशरफ ने इस दौरान पीड़िता से शादी भी नहीं की। कुछ दिनों बाद पीड़िता ने एक बच्चे को भी जन्म दे दिया, इसके बाद अशरफ उसे धर्मांतरण करने के लिए प्रताड़ित करने लगा।
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पहचान छिपाने का आरोप: अशरफ ने कथित तौर पर 2012 में, जब पीड़िता 16 वर्ष की थी, अपनी पहचान छिपाकर उसे प्रेम जाल में फंसाया। यह धोखाधड़ी और संभावित अपहरण का मामला हो सकता है, क्योंकि पीड़िता उस समय नाबालिग थी।
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धर्मांतरण का दबाव: बच्चे के जन्म के बाद, अशरफ ने कथित तौर पर पीड़िता को इस्लाम अपनाने के लिए मजबूर किया और बिना धर्मांतरण के शादी से इनकार किया। यह जबरन धर्मांतरण के प्रयास के तहत कानूनी जांच का विषय हो सकता है।
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विवादास्पद बयान: अशरफ का कथित दावा कि हिंदू लड़कियों को फंसाना “उनका शौक” है, सामाजिक तनाव को बढ़ाने वाला और संवेदनशील है। यह बयान, यदि सिद्ध होता है, मामले को और गंभीर बना सकता है।
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कानूनी पहलू: FIR में संभवतः IPC की धाराओं (जैसे 366, 376, 420) और POCSO Act के तहत मामला दर्ज किया गया है, क्योंकि पीड़िता नाबालिग थी। धर्मांतरण के दबाव से संबंधित बिहार के धर्मांतरण विरोधी कानून (यदि लागू हो) भी जांच का हिस्सा हो सकते हैं।
सामाजिक संवेदनशीलता:
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“लव जिहाद” और अशरफ के कथित बयान जैसे मुद्दे सामुदायिक तनाव को बढ़ा सकते हैं। इसलिए, इस मामले को तथ्यों और कानूनी प्रक्रिया के आधार पर ही देखा जाना चाहिए।
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किसी समुदाय को सामान्यीकरण के आधार पर दोष देना उचित नहीं है। यह मामला व्यक्तिगत अपराध से संबंधित प्रतीत होता है।
हिन्दू पीड़िता ने बताया, “उनके (कमाल अशरफ) द्वारा कहा गया कि बिना धर्म परिवर्तन तुमसे हमारी शादी नहीं हो सकती है, और हम लोगों का शौक है, कि हिन्दू लड़की को अपने प्रेम जाल में फँसा कर उसे सम्भोग का वस्तु बना कर रखना है और हमसे कभी शादी भी नहीं किया।”
पीड़िता ने बताया कि इस बीच वह भी शिक्षा विभाग में सरकारी कर्मचारी के तौर पर काम करने लगी। इसके बाद भी कमाल अशरफ ने उससे ₹50 हजार भी ले लिए। पीड़िता ने बताया कि पैसे ना देने पर कमाल अशरफ उसे नग्न कर पीटता था और यातनाएँ देता था।
नमाज ना पढ़ने पर हाथ-पैर तोड़े
हिन्दू युवती की यातनाएँ लगातार बढ़ती ही गईं। FIR में बताया गया है कि जब उसने मंदिर जाने और पूजा करने की इच्छा जताई तो कमाल अशरफ उस पर नमाज के लिए दबाव बनाने लगा। जब हिन्दू युवती ने नमाज पढ़ने का विरोध किया तो उसकी पिटाई कर उसका हाथ पैर तोड़ दिया।
कमाल अशरफ ने पूजा के लिए युवती ने जो देवी-देवताओं की मूर्तियाँ रखी थीं, उन्हें भी फेंक दिया और गौमांस खा कर इस्लाम अपनाने का दबाव डालने लगा। कमाल अशरफ हिन्दू युवती ही नहीं बल्कि उसके बच्चे को भी मुस्लिम बनाने के लिए दबाव बनाता था।
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पहचान छिपाकर प्रलोभन: कमाल अशरफ ने कथित तौर पर 2012 में, जब पीड़िता 16 वर्ष की नाबालिग थी, अपनी पहचान सुमित के रूप में छिपाकर उसे प्रेम जाल में फंसाया। उसने खुद को राजस्थान का निवासी बताया, जबकि वह लखीसराय का ही रहने वाला था।
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यौन शोषण और प्रताड़ना: पीड़िता का आरोप है कि अशरफ ने 13 वर्षों तक उसका यौन शोषण किया, उसे आसनसोल और जमुई में रखा, और शादी का झांसा देकर कोर्ट में धारा 164 के तहत बयान दर्ज करवाया, लेकिन शादी नहीं की। बच्चे के जन्म के बाद उसने पीड़िता पर नमाज पढ़ने, गोमांस खाने, और धर्मांतरण का दबाव बनाया।
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दूसरे व्यक्ति के साथ संबंध का दबाव: पीड़िता ने बताया कि अशरफ ने उस पर इब्राहिम अहमद (जो एक प्राथमिक विद्यालय का शिक्षक है) के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव डाला। इब्राहिम ने कथित तौर पर कहा कि यदि वह दोनों के साथ संबंध बनाएगी, तो अशरफ उससे निकाह करेगा और उसे पत्नी का दर्जा देगा।
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बर्बरता और हिंसा: जब पीड़िता ने इस मांग का विरोध किया, तो अशरफ और इब्राहिम ने मिलकर उसे बर्बरता से पीटा। पीड़िता ने आरोप लगाया कि उन्होंने उसके गुप्तांगों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की, जिसके परिणामस्वरूप उसके बाएं हाथ और पैर में फ्रैक्चर हुआ।
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FIR और बचाव: पीड़िता किसी तरह अशरफ के चंगुल से भागकर अपने रिश्तेदार के घर पहुंची और सूर्यगढ़ा थाने में कमाल अशरफ, इब्राहिम अहमद, और अन्य सहयोगियों के खिलाफ FIR दर्ज करवाई। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
कानूनी पहलू:
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लागू धाराएँ: इस मामले में भारतीय दंड संहिता (IPC) की निम्नलिखित धाराएँ लागू हो सकती हैं:
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धारा 366 (नाबालिग का अपहरण या प्रलोभन),
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धारा 376 (बलात्कार),
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धारा 420 (धोखाधड़ी),
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धारा 323/325 (मारपीट और गंभीर चोट),
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धारा 506 (आपराधिक धमकी)।
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चूंकि पीड़िता 2012 में नाबालिग थी, POCSO Act (Protection of Children from Sexual Offences) की धाराएँ भी लागू हो सकती हैं।
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धर्मांतरण के दबाव के लिए, बिहार में लागू धर्मांतरण विरोधी कानून (यदि कोई हो) या संबंधित प्रावधानों के तहत जांच हो सकती है।
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जांच की स्थिति: पुलिस ने कमाल अशरफ, इब्राहिम अहमद, और उनके सहयोगियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, और जांच चल रही है। हालांकि, नवीनतम अपडेट्स में गिरफ्तारी या अन्य कार्रवाई की जानकारी उपलब्ध नहीं है।
सामाजिक और संवेदनशील पहलू:
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“लव जिहाद” का शब्द: इस मामले में “लव जिहाद” शब्द का उपयोग मीडिया और कुछ संगठनों द्वारा किया गया है, जो सामाजिक और राजनीतिक रूप से विवादास्पद है। यह शब्द सामुदायिक तनाव को बढ़ा सकता है, इसलिए इसे सावधानी से और तथ्यों के आधार पर देखा जाना चाहिए।
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सामुदायिक सामान्यीकरण: अशरफ के कथित बयान (हिंदू लड़कियों को फंसाना “शौक” है) और इस तरह के मामलों को किसी समुदाय से जोड़ना खतरनाक हो सकता है। यह व्यक्तिगत अपराध का मामला है, और इसे सामुदायिक आधार पर सामान्यीकृत करना उचित नहीं है।
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महिला सुरक्षा और मानवाधिकार: यह मामला नाबालिग लड़कियों की सुरक्षा, जबरन धर्मांतरण, और यौन हिंसा जैसे गंभीर मुद्दों को उजागर करता है, जिन पर समाज और कानून को गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।