भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता अनुराग ठाकुर ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में नेशनल हेराल्ड अखबार मामले में कांग्रेस पार्टी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए. इसे कांग्रेस का “भ्रष्टाचार मॉडल” करार दिया. सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस ने 90 करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर यंग इंडियन कंपनी को मात्र 50 लाख रुपये में ही 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति हस्तांतरित कर दी. ठाकुर ने सवाल उठाया कि क्या कोई राजनीतिक दल इस तरह कर्ज दे सकता है और अगर कर्ज दिया गया तो क्या उस पर ब्याज लिया गया?
ठाकुर ने कहा कि नेशनल हेराल्ड, जो पहले एक दैनिक अखबार था, अब नियमित रूप से प्रकाशित नहीं होता. फिर भी, कांग्रेस शासित राज्यों की सरकारें इसे भारी मात्रा में विज्ञापन दे रही हैं. उन्होंने अपने गृह राज्य हिमाचल प्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि बड़े दैनिक अखबारों को कम राशि मिलती है, जबकि नेशनल हेराल्ड को “चांदी के सिक्के” दिए जाते हैं. उन्होंने पूछा, “क्या यह अखबार कांग्रेस का एटीएम बन गया है?” प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की चार्जशीट का हवाला देते हुए ठाकुर ने कहा कि इसमें अपराध की तारीख, समय, स्थान और लेनदेन से जुड़े तथ्य दर्ज हैं.
कांग्रेस की वित्तीय प्राथमिकताओं और कथित पक्षपात पर सवाल खड़ा करती है, खासकर सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर की टिप्पणी के संदर्भ में।
क्या आरोप लगाए गए हैं?
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जनता के टैक्स के पैसे से कांग्रेस शासित राज्य नेशनल हेराल्ड अखबार को विज्ञापन के नाम पर धन दे रहे हैं।
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ठाकुर का दावा है कि दिल्ली, मुंबई, लखनऊ जैसे बड़े शहरों में इस अखबार को सब्सिडी रेट पर अरबों की संपत्तियाँ दी गई हैं।
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उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इन संपत्तियों का उचित किराया लिया जा रहा है या “फर्जी व्यवस्था” के तहत इस्तेमाल हो रही हैं?
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साथ ही उन्होंने हिमाचल में कांग्रेस की वादाखिलाफी गिनाई — जैसे:
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महिलाओं को वादा किया गया पैसा नहीं मिला,
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कर्मचारियों को डीए (महंगाई भत्ता) की किश्तें नहीं दी गईं,
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गोबर और दूध खरीदने जैसे लोकलुभावन वादे पूरे नहीं किए गए।
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लेकिन नेशनल हेराल्ड को विज्ञापन देने में कोई कमी नहीं की गई।
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नेशनल हेराल्ड विवाद का संदर्भ:
नेशनल हेराल्ड का मुद्दा पहले से ही कांग्रेस के लिए एक राजनीतिक सिरदर्द रहा है, खासकर यंग इंडियन लिमिटेड के जरिए उसकी संपत्तियों के अधिग्रहण को लेकर। इसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी से ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने पूछताछ भी की थी।
ठाकुर की ये टिप्पणी उसी पुराने विवाद को एक नई वित्तीय और नैतिक बहस में बदलने की कोशिश है — कि जब आम लोगों के वादे पूरे नहीं किए जा रहे, तब पार्टी समर्थित मीडिया संस्थानों को फायदा क्यों दिया जा रहा है?
यंग इंडियन कंपनी और कांग्रेस नेतृत्व:
अनुराग ठाकुर का ज़ोर इस पर है कि यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (YIL) एक “पॉलिटिकली नियंत्रित कंपनी” है, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 76% हिस्सेदारी है।
इसका सीधा इशारा इस बात की तरफ है कि कांग्रेस ने यंग इंडियन के ज़रिए नेशनल हेराल्ड की मूल कंपनी – एजेएल (Associated Journals Limited) की संपत्तियों और संसाधनों पर प्रभाव जमाने की कोशिश की।
मुख्य आरोपों का सार:
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अगर कर्ज माफ ही करना था, तो एजेएल का सीधे कर्ज क्यों नहीं माफ किया गया?
🔹 संकेत ये है कि यंग इंडियन के ज़रिए अप्रत्यक्ष रूप से फायदों का हस्तांतरण हुआ। -
1000 से अधिक शेयरधारकों के हितों को लेकर सवाल:
🔹 एजेएल के पुराने शेयरधारक आज कहीं नहीं हैं, ना उन्हें निर्णय प्रक्रिया में शामिल किया गया, ना कोई मुआवज़ा मिला। -
विज्ञापन देने का मुद्दा:
ठाकुर ने पूछा कि कांग्रेस शासित राज्यों ने नेशनल हेराल्ड को कितनी राशि, कब-कब और किस आधार पर विज्ञापन दिया, जब ये एक गैर-नियमित (non-regular) अखबार है।
इसके उलट, उन्होंने दावा किया कि दैनिक अखबारों, जिनकी व्यापक पहुँच है, उन्हें कम विज्ञापन राशि दी गई। -
“भ्रष्टाचार मॉडल” का आरोप:
ठाकुर का बयान राजनीतिक रूप से यह स्थापित करने की कोशिश है कि कांग्रेस सत्ता का इस्तेमाल अपने करीबी संगठनों और नेताओं को फायदा पहुँचाने के लिए करती है, और ये “भ्रष्टाचार मॉडल” का उदाहरण है।
यंग इंडियन – एजेएल डील का मूल विवाद क्या है?
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एजेएल एक पुरानी कंपनी थी, जो नेशनल हेराल्ड, कौमी आवाज़ जैसे अखबार चलाती थी।
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इस कंपनी पर कांग्रेस का करीब ₹90 करोड़ से ज्यादा कर्ज था।
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बाद में यह कर्ज यंग इंडियन नामक एक नई कंपनी को ट्रांसफर किया गया, जिसमें राहुल गांधी और सोनिया गांधी की प्रमुख हिस्सेदारी थी।
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नतीजतन, यंग इंडियन को एजेएल की संपत्तियों का नियंत्रण मिल गया, जिनकी बाज़ार कीमत हज़ारों करोड़ मानी जाती है।
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इस पूरे ट्रांजैक्शन को लेकर ईडी, इनकम टैक्स, और अदालतों में जांच और केस चल रहे हैं।