रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में शुक्रवार को महान योद्धा और मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप की प्रतिमा का अनावरण किया। राजनाथ सिंह ने कहा कि महाराणा प्रताप इतिहास के ऐसे महानायक हैं जिन्होंने अपनी मातृभूमि के ‘मान, सम्मान और स्वाभिमान’ की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। राजनाथ सिंह ने कहा कि यहां लगाई गई यह प्रतिमा सिर्फ पत्थर या किसी धातु से बनी मूर्ति भर नहीं है। यह हम सभी के लिए प्रेरणा स्थल है और आने वाली पीढ़ियों के लिए साहस, शौर्य, पराक्रम और देशभक्ति का स्मारक है। अपने संबोधन में राजनाथ सिंह ने औरंगजेब को लेकर भी बात की और कहा कि कुछ लोग औरंगजेब को हीरो बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
राजनाथ सिंह का छत्रपति संभाजीनगर में भाषण: भारतीय राष्ट्रवाद का इतिहासबोध
1. महाराणा प्रताप – आत्मसम्मान और स्वतंत्रता के प्रतीक
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राजनाथ सिंह ने कहा कि महाराणा प्रताप ने कभी अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए युद्ध नहीं किया।
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वह अकबर की अधीनता स्वीकार कर शांति से रह सकते थे, लेकिन उन्होंने सम्मान और स्वतंत्रता को चुना।
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हकीम खान सूर जैसे मुस्लिम योद्धाओं ने भी महाराणा प्रताप के साथ मिलकर लड़ा, यह दर्शाता है कि उनका संघर्ष किसी मज़हबी सीमा से परे था।
2. विविध समाजों का योगदान – समरसता का प्रतीक
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महाराणा प्रताप की सेना में राजपूत, आदिवासी, कृषक, और मुस्लिम समुदाय के लोग भी थे।
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यह एक समावेशी राष्ट्रवादी दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिसमें सभी वर्गों और समुदायों की भागीदारी थी।
3. इतिहास का गलत प्रस्तुतिकरण – औरंगज़ेब पर सवाल
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उन्होंने इतिहासकारों पर सवाल उठाया कि उन्होंने औरंगज़ेब जैसे शासकों को महिमामंडित किया, जबकि महाराणा प्रताप जैसे नायकों को उचित स्थान नहीं दिया।
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पंडित नेहरू का भी हवाला देते हुए कहा कि नेहरू ने भी औरंगज़ेब को कट्टरवादी माना था।
4. दारा शिकोह बनाम औरंगज़ेब – संस्कृति बनाम कट्टरता
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दारा शिकोह को उपनिषदों के अनुवादक और सनातन संस्कृति से जुड़ा बताया गया।
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औरंगज़ेब ने सत्ता के लिए नहीं, बल्कि एक संस्कृति के प्रति घृणा के चलते दारा की हत्या की।
5. पाकिस्तान की नीति और नामकरण पर कटाक्ष
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पाकिस्तान की मिसाइलों के नाम बाबर, गजनवी, तैमूर आदि पर रखे जाने को उन्होंने भारत-विरोधी मानसिकता बताया।
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यह सवाल भी उठाया कि भारत में कुछ लोग इन आक्रमणकारियों की महिमा क्यों गाते हैं? क्या यह मुस्लिम समुदाय का सम्मान है या अपमान?
6. शिवाजी और प्रताप – राष्ट्रवाद के आदर्श
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छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप को अपना आदर्श मानते थे।
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शिवाजी ने गुरिल्ला युद्ध नीति प्रताप से सीखी थी और उनके पोते से चित्र मँगवाया था।
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उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज की सेना और अंगरक्षक दल में भी मुस्लिम लोग थे, जैसे मदारी।
संदेश और विचारधारा:
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यह भाषण न सिर्फ इतिहास को पुनः परिभाषित करने का प्रयास है, बल्कि यह ‘समरसता पर आधारित राष्ट्रवाद’ का एक स्पष्ट बयान है।
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उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भारतीय राष्ट्रवाद मजहब पर आधारित नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक गौरव और स्वतंत्रता पर आधारित है।