जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल, 2025 को हुए आतंकी हमले के बाद सामने आई है। इस हमले में 28 निर्दोष लोगों की जान जाना एक बेहद दर्दनाक और गंभीर घटना है, और इसके बाद भारत सरकार द्वारा लिए गए फैसले इस बात का संकेत हैं कि अब वह सीमा पार से होने वाले आतंकवाद को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी।
Debashree Mukherjee, Secretary, Ministry of Jal Shakti writes to Secretary, Pakistan Ministry of Water Resources.
Letter reads, " The Govt of India has hereby decided that the Indus Waters Treaty 1960 will be held in abeyance with immediate effect" pic.twitter.com/t8GLAsBDgd
— ANI (@ANI) April 24, 2025
भारत सरकार की प्रमुख प्रतिक्रियाएँ:
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प्रधानमंत्री की तत्क्षण वापसी: पीएम नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब दौरा बीच में छोड़कर भारत लौटने का निर्णय लिया – यह घटना की गंभीरता को दर्शाता है।
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गृह मंत्री अमित शाह का घटनास्थल पर पहुँचना: यह कदम केंद्र सरकार के संवेदनशील और ज़मीनी स्तर पर सक्रिय रवैये को दर्शाता है।
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CCS बैठक के बाद लिए गए कड़े कदम:
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सिंधु जल संधि का निलंबन: यह एक ऐतिहासिक और बड़ा फैसला है, क्योंकि 1960 से अब तक यह संधि भारत और पाकिस्तान के बीच बनी रही थी, चाहे हालात जैसे भी रहे हों। अब इसका स्थगन भारत के जल अधिकारों के पुनः निर्धारण का संकेत है।
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पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द: लेकिन इस निर्णय में मानवीय दृष्टिकोण भी रखा गया है – LTV वीजा पर भारत में बसे पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों को इससे अलग रखा गया है।
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पाकिस्तान के रक्षा अधिकारियों को निष्कासित करना: यह राजनयिक संबंधों में एक तीखा संदेश है।
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अटारी-वाघा सीमा का बंद होना: यह भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापारिक और मानवीय आवाजाही को पूरी तरह रोक देने जैसा है।
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CAA और LTV धारकों को राहत: यह स्पष्ट किया गया है कि पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण आए हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी समुदायों को कोई खतरा नहीं है। यह CAA की भावना के अनुरूप है।
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जल शक्ति मंत्रालय का पाकिस्तान को पत्र:
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इसमें भरोसे और ईमानदारी की शर्तों के टूटने की बात कही गई है।
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भारत अब अपने हिस्से के जल अधिकारों का पूरा उपयोग करना चाहता है, जो अब तक सुरक्षा के कारण बाधित था।
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पाकिस्तान द्वारा बातचीत से परहेज़ को भी रेखांकित किया गया है।
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यह घटनाक्रम क्या संकेत देता है?
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यह केवल एक राजनयिक या सामरिक प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि एक रणनीतिक मोड़ है, जहाँ भारत अब “आतंक और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते” को सिर्फ सिद्धांत नहीं, नीति के तौर पर लागू कर रहा है।
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सिंधु जल संधि को निलंबित करना पाकिस्तान की आर्थिक और कृषि प्रणाली पर प्रभाव डाल सकता है, क्योंकि सिंधु और उसकी सहायक नदियाँ वहाँ की जीवन रेखा हैं।
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यह निर्णय अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी पाकिस्तान को कटघरे में खड़ा कर सकता है – विशेष रूप से अगर भारत यह साबित कर दे कि पाकिस्तान ने आतंकवाद को संरक्षण दिया है और संवाद से इनकार किया।