जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने बेहद कड़ा रुख दिखाया है। अमेरिका से लेकर नेपाल तक तमाम देशों ने इस बर्बर आतंकी हमले की कड़ी निंदा की है। इस बीच अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने साफ कहा है कि पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में शामिल लोगों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।
भारत का सख्त रुख + वैश्विक समर्थन = एक स्पष्ट संदेश
🔴 हमले की गंभीरता
- 22 अप्रैल को हुआ यह हमला नागरिकों को निशाना बनाने वाला आतंकी कृत्य था, जिससे पूरी दुनिया में प्रतिक्रिया हुई।
- भारत ने इसे केवल एक आतंकी घटना नहीं, बल्कि सीमापार प्रायोजित युद्ध का हिस्सा करार दिया है।
अमेरिकी प्रतिक्रिया: मज़बूत और निर्णायक
🗣️ टैमी ब्रूस का बयान
- अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने स्पष्ट शब्दों में कहा:
“इस हमले के जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।”
“अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ खड़ा है।“
📵 पाकिस्तानी पत्रकार को करारा जवाब
- जब एक पाकिस्तानी पत्रकार ने “कश्मीर पर मध्यस्थता” की बात छेड़नी चाही, टैमी ब्रूस ने उसे बीच में ही रोकते हुए कहा:
“मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करने जा रही हूं।”
इस प्रतिक्रिया से स्पष्ट है कि अमेरिका अब कश्मीर को भारत का आंतरिक मामला मानता है।
📞 डोनाल्ड ट्रंप की फोन कॉल
- अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम नरेंद्र मोदी को कॉल कर:
- हमले की निंदा की
- शोक व्यक्त किया
- और आतंकवाद के खिलाफ “भारत के साथ खड़े होने” की प्रतिबद्धता जताई
अन्य देशों की प्रतिक्रियाएं
- नेपाल, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, रूस जैसे कई देशों ने भी हमले की कड़ी निंदा की है और भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की है।
VIDEO | US Department of State spokesperson Tammy Bruce (@statedeptspox) shuns Pak journalist over Pahalgam terror attack, says "I am not going to be remarking; as I have mentioned, I appreciate this and the press will comeback to you with another subject. I will say nothing more… pic.twitter.com/dnCsNW6O3v
— Press Trust of India (@PTI_News) April 25, 2025
इसका क्या मतलब है?
- पाकिस्तान की वैश्विक छवि को झटका:
- एक ओर वह खुद को ‘आतंकवाद का शिकार’ बताता है, लेकिन अब दुनिया यह समझ चुकी है कि वह ‘आतंकवाद का पनाहगाह’ भी है।
- अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की कश्मीर पर मध्यस्थता की मांग अब कोई नहीं सुनता।
- भारत की कूटनीतिक जीत:
- इस समय भारत ने कूटनीति, सुरक्षा और मानवाधिकार सभी मोर्चों पर मजबूत स्टैंड लिया है।
- अमेरिका जैसे देश का खुला समर्थन अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए स्पष्ट संकेत है कि भारत की संप्रभुता और सुरक्षा से समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
- CAA और LTV नीति का सराहनीय स्पष्टीकरण:
- पाकिस्तान से प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को लेकर भारत की मानवीय नीति और कानूनी स्पष्टता अब अधिक स्वीकार्य हो रही है।