दिल्ली में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में दिल्ली कैबिनेट द्वारा पारित “दिल्ली स्कूल एजुकेशन ट्रांसपेरेंसी इन फिक्सेशन एंड रेगुलेशन ऑफ फीस एक्ट 2025” एक ऐतिहासिक और पेरेंट्स-केंद्रित फैसला है, जो निजी स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि पर लगाम लगाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
मुख्य बिंदु: दिल्ली स्कूल फीस एक्ट 2025
बिंदु | विवरण |
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नाम | दिल्ली स्कूल एजुकेशन ट्रांसपेरेंसी इन फिक्सेशन एंड रेगुलेशन ऑफ फीस एक्ट 2025 |
उद्देश्य | निजी स्कूलों में मनमानी फीस वृद्धि को रोकना और पारदर्शिता सुनिश्चित करना |
कैबिनेट मंजूरी | 2025 में कैबिनेट द्वारा पारित, विधानसभा के अर्जेंट सत्र में पारित कर लागू किया जाएगा |
मुख्य पहल | त्रिस्तरीय समिति प्रणाली के तहत फीस नियंत्रण और समीक्षा |
कमेटी संरचना | प्रत्येक समिति में पेरेंट्स, 1 SC/ST सदस्य और 2 महिलाएं अनिवार्य होंगी |
त्रिस्तरीय समिति प्रणाली की संरचना
स्तर | कार्य | समयसीमा |
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स्कूल लेवल समिति | फीस प्रस्तावों की प्रारंभिक जांच | 30 दिन |
डिस्ट्रिक्ट लेवल समिति | यदि स्कूल लेवल समिति विफल हो, तो जांच करेगी | 30-45 दिन |
स्टेट लेवल समिति | अंतिम निर्णय का अधिकार, यदि ज़िला समिति निर्णय न ले सके | तय समय के भीतर |
सख्त प्रावधान और दंड
- जो स्कूल बिना समिति के अनुमोदन के फीस बढ़ाएगा, उस पर:
- ₹1,10,000 तक का जुर्माना लग सकता है।
- सरकारी टेकओवर का प्रावधान भी है।
- 15% से अधिक पेरेंट्स असहमति जताएं तो वे शिकायत को ऊपर की समिति के पास ले जा सकते हैं।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का बयान:
“पिछली सरकारों ने फीस नियंत्रण के लिए कोई ठोस कानून नहीं बनाया। हमने यह कमी पूरी की है। अब निजी स्कूलों को जवाबदेह बनाना ही हमारा लक्ष्य है।”
भाजपा नेता आशीष सूद का बयान:
“पेरेंट्स की शिकायतों को गंभीरता से लिया गया है। हमने पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में पहला मजबूत कदम उठाया है।”
इस कानून से अपेक्षित लाभ:
- पेरेंट्स को राहत, मनमानी फीस वृद्धि पर नियंत्रण।
- निजी स्कूलों की जवाबदेही बढ़ेगी।
- शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और संतुलन आएगा।
- समाज के कमजोर वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित होगी।