क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9 मई को मास्को में विजय दिवस परेड में शामिल नहीं होंगे। रूसी समाचार एजेंसी TASS के हवाले से ये जानकारी मिली है।
According to Dmitry Peskov, the Kremlin spokesperson, Prime Minister Narendra Modi will not attend the Victory Day parade in Moscow on May 9, according to TASS, the Russian news agency.
— ANI (@ANI) April 30, 2025
पीएम की जगह राजनाथ सिंह जाएंगे
सूत्रों के हवाले से ये जानकारी मिली है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रूस के मॉस्को में 9 मई को होने वाली विजय दिवस परेड में शामिल होने का निमंत्रण दिया गया है। लेकिन रूसी पक्ष को पहले ही सूचित कर दिया गया था कि भारत का प्रतिनिधित्व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे।
An invitation was extended to Prime Minister Narendra Modi to attend the Victory Day Parade (May 9) in Moscow, Russia. The Russian side was informed earlier that India would be represented by Defence Minister Rajnath Singh: Sources
— ANI (@ANI) April 30, 2025
क्या था कार्यक्रम?
पीएम मोदी को रूस में विजय दिवस समारोह में भाग लेना था, जो द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी पर सोवियत रूस की जीत की 80वीं वर्षगांठ का प्रतीक है। जनवरी 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, सोवियत सेना ने जर्मनी के खिलाफ एक आक्रामक अभियान शुरू किया, जो लाल सेना की जीत के साथ समाप्त हुआ। इसके बाद, 9 मई को कमांडर-इन-चीफ ने जर्मनी के बिना शर्त आत्मसमर्पण के अधिनियम पर हस्ताक्षर किए, जिससे युद्ध समाप्त हो गया।
पीएम मोदी की रूस की पिछली यात्रा जुलाई 2024 में हुई थी, जो लगभग पांच वर्षों में उनकी पहली विदेश यात्रा थी। प्रधानमंत्री ने 2019 में एक आर्थिक सम्मेलन में भाग लेने के लिए सुदूर पूर्वी शहर व्लादिवोस्तोक का दौरा किया था।
यह ताजा फैसला ऐसे समय में आया है जब भारत ने इस महीने की शुरुआत में पहलगाम में हुए आतंकी हमलों का कड़ा जवाब देने का संकल्प लिया है। 22 अप्रैल को, आतंकवादियों ने कश्मीर के पहलगाम में गोलीबारी की, जिसमें 26 लोग मारे गए, जो 2019 में पुलवामा हमले के बाद घाटी में सबसे घातक हमला था। पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के प्रतिनिधि, द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने हमले की जिम्मेदारी ली।
बता दें कि पीएम मोदी ने पहलगाम आतंकी हमले पर भारत की प्रतिक्रिया के तरीके, लक्ष्य और समय पर निर्णय लेने के लिए सशस्त्र बलों को खुली छूट दे दी है।