प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा जातिगत जनगणना को आधिकारिक जनगणना में शामिल करने का फैसला एक ऐतिहासिक और दूरगामी कदम माना जा रहा है। यह निर्णय राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा लिया गया और इससे सामाजिक न्याय, नीति निर्माण, तथा आरक्षण जैसी व्यवस्थाओं में डेटा आधारित पारदर्शिता आने की संभावना है।
मुख्य बातें इस निर्णय की:
✅ जातिगत जनगणना अब आधिकारिक जनगणना का हिस्सा होगी।
➡️ यह पहला मौका होगा जब स्वतंत्र भारत की किसी आधिकारिक जनगणना में सभी जातियों का समावेश किया जाएगा।
✅ केंद्र सरकार का तर्क:
- यह निर्णय देश के सर्वांगीण हित को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
- सर्वे (SECC) के बजाय पूर्ण जनगणना में आंकड़े एकत्र करने से अधिक पारदर्शिता और विश्वसनीयता आएगी।
- सामाजिक ताने-बाने को राजनीतिक उद्देश्यों से प्रभावित होने से रोका जा सकेगा।
✅ राजनीतिक पृष्ठभूमि:
- 2010 में मनमोहन सिंह सरकार ने इसे केवल विचार स्तर पर छोड़ा।
- SECC (Socio Economic and Caste Census) कराई गई, लेकिन उसके डेटा को कभी सार्वजनिक नहीं किया गया।
- विपक्ष, खासकर राहुल गांधी, हाल के चुनावों में इसे मुद्दा बनाकर बीजेपी पर दबाव बना रहे थे — अब वह मुद्दा केंद्र ने अपने पक्ष में ले लिया।
✅ संवैधानिक प्रावधान:
- जनगणना केंद्र का विषय है (अनुच्छेद 246, सूची-I, क्रम संख्या 69)।
- इसलिए राज्यों द्वारा कराए गए जातीय सर्वे की वैधानिक वैधता सीमित रही है।
"राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आज फैसला किया है कि जाति गणना को आगामी जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए।"
"इससे यह सुनिश्चित होगा कि समाज आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से मज़बूत हो और देश की प्रगति भी निर्बाध चलती रहे"
-केंद्रीय मंत्री @AshwiniVaishnaw #CabinetDecisions pic.twitter.com/BhtoICERXB
— One India News (@oneindianewscom) April 30, 2025
इस फैसले के संभावित प्रभाव:
- नीति निर्माण में सटीकता:
जातिगत आधार पर सटीक आंकड़े मिलने से शिक्षा, रोजगार, और सामाजिक कल्याण योजनाओं को टार्गेटेड बनाया जा सकेगा। - आरक्षण नीति पर असर:
यदि किसी जाति की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पिछड़ी पाई जाती है, तो आरक्षण की नई रूपरेखा बनाई जा सकती है। - राजनीतिक संतुलन:
बीजेपी इस कदम से पिछड़े वर्गों, OBC और दलित वोटरों को संदेश देना चाहती है कि सरकार उनके हक में फैसले ले रही है। - विपक्ष का मुद्दा छिन गया:
कांग्रेस और क्षेत्रीय दल लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे। अब केंद्र ने यह मांग खुद मान ली, जिससे विपक्ष की रणनीति को झटका लगा है।
पीएम मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई थी सुपर कैबिनेट की बैठक
पीएम मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को सुपर कैबिनेट की मीटिंग हुई थी, इसमें केंद्रीय मंत्रिमंडल के कुछ टॉप मंत्री मौजूद रहे थे। राजनीतिक मामलों की कैबिनेट कमेटी को ‘सुपर कैबिनेट’ कहा जाता है और इसमें केंद्रीय मंत्रिमंडल के कुल टॉप मंत्री ही शामिल होते हैं।
सुपर कैबिनेट के अध्यक्ष पीएम मोदी हैं। इसके अलावा इस कैबिनेट में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल भी शामिल हैं।