1 मई, 2025 से लागू “वन स्टेट, वन आरआरबी” (One State-One RRB) नीति के तहत देश के 11 राज्यों में 15 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (Regional Rural Banks – RRBs) का मर्जर कर दिया गया है। इस चौथे चरण के विलय के बाद देश में आरआरबी की कुल संख्या 43 से घटकर 28 रह गई है।
यह मर्जर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम, 1976 की धारा 23ए(1) के तहत किया गया है। इस नीति का उद्देश्य प्रशासनिक लागत में कटौती, बैंकिंग सेवाओं में समानता, दक्षता और बेहतर संचालन सुनिश्चित करना है।
मुख्य उद्देश्य:
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एक राज्य में एक ही आरआरबी
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दक्षता में वृद्धि
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प्रशासनिक लागत में कटौती
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ग्रामीण बैंकिंग सेवाओं का एकीकरण
🔷 कुल मर्जर चरण:
चौथा चरण (इससे पहले तीन चरणों में कई RRBs पहले ही मर्ज हो चुके थे)
🔷 RRBs की संख्या में परिवर्तन:
43 से घटकर 28
राज्यवार मर्जर सारांश:
राज्य | मर्जर से बनी नई इकाई | मुख्यालय | प्रमुख प्रायोजक बैंक |
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उत्तर प्रदेश | उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक | लखनऊ | बैंक ऑफ बड़ौदा |
बिहार | बिहार ग्रामीण बैंक | पटना | भारतीय स्टेट बैंक |
पश्चिम बंगाल | पश्चिम बंगाल ग्रामीण बैंक | कोलकाता/स्थानिक | UCO बैंक/अन्य |
आंध्र प्रदेश | आंध्र प्रदेश ग्रामीण बैंक | अमरावती/गुंटूर | SBI, केनरा, यूनियन, इंडियन बैंक |
गुजरात | गुजरात ग्रामीण बैंक | अहमदाबाद/राजकोट | बैंक ऑफ बड़ौदा |
जम्मू-कश्मीर | जम्मू-कश्मीर ग्रामीण बैंक | जम्मू/श्रीनगर | J&K बैंक/SBI आदि |
कर्नाटक | कर्नाटक ग्रामीण बैंक | बेंगलुरु/हुबली | SBI, सिंडिकेट आदि |
मध्य प्रदेश | मध्य प्रदेश ग्रामीण बैंक | भोपाल/ग्वालियर | सेंट्रल बैंक/SBI |
महाराष्ट्र | महाराष्ट्र ग्रामीण बैंक | नागपुर/मुंबई | बैंक ऑफ महाराष्ट्र/SBI |
ओडिशा | ओडिशा ग्रामीण बैंक | भुवनेश्वर | इंडियन ओवरसीज बैंक/UBI |
राजस्थान | राजस्थान ग्रामीण बैंक | जयपुर/अजमेर | बैंक ऑफ बड़ौदा/SBBJ |
प्रत्येक बैंक की अधिकृत पूंजी:
₹2000 करोड़
नीति से संभावित लाभ:
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एक राज्य, एक संरचना – पारदर्शिता व जवाबदेही में वृद्धि
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छोटे RRBs के बीच संसाधनों का एकीकरण
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तकनीकी और डिजिटल बैंकिंग में तेजी
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निर्णय लेने में सरलता और तीव्रता
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ग्रामीण ग्राहकों के लिए एक समान उत्पाद व सेवा