पटियाला हाउस कोर्ट ने 26/11 आतंकवादी हमले के आतंकी तहव्वुर राणा की वॉइस सैंपल और लिखावट के नमूने लेने की इजाजत दे दी है। एनआईए ने कोर्ट में अर्जी इसे लेकर अर्जी दाखिल की थी, जिसमें एनआईए ने तहव्वुर राणा की वॉइस सैंपल और लिखावट के नमूने लेने की इजाजत मांगी थी। बता दें कि आतंकी तहव्वुर राणा फिलहाल 12 दिन की एनआईए की हिरासत में है। बता दें कि इससे पहले एनआईए कोर्ट ने 26/11 आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा की हिरासत 12 दिन के लिए बढ़ा दी थी। बता दें कि तहव्वुर राणा को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट से ले जाया गया था। यहां राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) कोर्ट ने उसकी हिरासत अवधि 12 दिन के लिए बढ़ा दी।
Spl Court grants NIA permission to collect voice and handwriting samples of 26/11 mastermind Tahawwur Rana
Read @ANI story | https://t.co/Z0aw2XzLPX#NIA #TahawwurRana #voicesamples pic.twitter.com/HBJyCuqvZe
— ANI Digital (@ani_digital) May 1, 2025
कौन है तहव्वुर राणा?
26/11 मुंबई हमले के प्रमुख साजिशकर्ताओं में तहव्वुर हुसैन राणा अहम नाम है। उसे मुंबई हमले के मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली का करीबी माना जाता है। हेडली और राणा स्कूल के समय से दोस्त थे। हेडली ने बाद में स्वीकार किया था कि वह लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम कर रहा था। इस आतंकी हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। पाकिस्तान में ट्रेनिंग लेकर आए 10 आतंकियों ने आधुनिक हथियारों से लैस होकर मुंबई में भीड़भाड़ वाली जगहों को निशाना बनाया था। इस दौरान 160 से अधिक लोग मारे गए थे और 200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
कब हुआ प्रत्यर्पण?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 13 फरवरी 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ व्हाइट हाउस में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की घोषणा की। ट्रंप ने कहा, “हम एक बहुत खतरनाक व्यक्ति को भारत को सौंप रहे हैं, जो मुंबई हमले का आरोपी है।” यह फैसला अमेरिकी विदेश विभाग के सचिव द्वारा 11 फरवरी 2025 को औपचारिक रूप से अधिकृत किया गया था। तहव्वुर हुसैन राणा का भारत में प्रत्यर्पण 9 अप्रैल 2025 को हुआ। वह 10 अप्रैल 2025 को दिल्ली के पालम हवाई अड्डे पर पहुंचा और उसे तुरंत राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की हिरासत में लिया गया।
महत्वपूर्ण बिंदु:
-
26/11 जांच में नई दिशा: राणा की गिरफ्तारी और जांच से भारत को उस बाहरी नेटवर्क की परतें खोलने में मदद मिलेगी जिसने हमले को अंजाम तक पहुँचाया।
-
अमेरिका-भारत सहयोग का प्रतीक: प्रत्यर्पण प्रक्रिया इस बात को दर्शाती है कि आतंकवाद के विरुद्ध भारत और अमेरिका की साझेदारी मजबूत हुई है।
-
न्यायिक प्रक्रिया में गति: वॉइस व हैंडराइटिंग सैंपल की मंजूरी से जांच को कानूनी आधार भी मजबूत मिल रहा है।