बिहार के वैशाली से लव जेहाद का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। मोहम्मद साहिल नाम का शख्स अपनी गर्लफ्रेंड गुलशन खातून की मदद से पहले लड़कियों को फँसाता था और फिर अश्लील वीडियो बनाकर उसे ब्लैकमेल करता था। इतना ही नहीं इंटरनेशनल पॉर्न साइट्स पर इसे बेचता भी था। उसने अलग-अलग धर्मों की लड़कियों को इसका निशाना बनाया हालाँकि उसके निशाने पर ज्यादातर हिन्दू लड़कियाँ थी। उसने इस डर्टी गेम का शिकार दर्जनों लड़कियों को बनाया।
बिहार पुलिस के मुताबिक मोहम्मद साहिल ने गर्लफ्रेंड बनाने का धँधा शुरू कर पैसे बनाए। पुलिस अब ये पता लगा रही है कि उसने किन-किन पॉर्न साइट्स पर इसे बेचा और कितने पैसे वसूले। किन देशों से ये पॉर्न साइट्स चल रहे हैं इसका पता भी लगाया जा रहा है।
इस डर्टी गेम का खुलासा तब हुआ जब एक नाबालिग लड़की का पोर्न वीडियो वायरल हुआ। इसके बाद मोहम्मद साहिल पर प्राथमिकी दर्ज कर उसे 2 अप्रैल 2025 को गिरफ्तार किया गया। लेकिन घटना के 15 दिन बाद भी पीड़िता का ना तो मेडिकल कराया गया और ना ही कोर्ट में पेश हुई।
कानूनी सवाल और चूक:
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POCSO एक्ट, आईटी एक्ट, और IPC की कई धाराएँ इस मामले में लागू हो सकती हैं, जैसे:
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§ 376 (बलात्कार)
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§ 354C (वॉयूरिज्म)
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§ 67 और 67A आईटी एक्ट (अश्लील सामग्री प्रसारित करना)
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POCSO की धाराएँ यदि पीड़िता नाबालिग है
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पुलिस की लापरवाही: FIR दर्ज होने के 15 दिन बाद तक मेडिकल और मजिस्ट्रेट के सामने बयान (CrPC §164) न होना कानूनन बड़ी चूक है।
इंटरनेशनल पॉर्न साइट्स से जुड़ा आयाम:
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यदि वीडियो विदेशी सर्वर पर बेचा गया है, तो यह मामला साइबर क्राइम के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़ सकता है।
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Interpol, NIA, या Cyber Crime Units की मदद से यह ट्रैक किया जाना जरूरी है कि:
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ये साइट्स कहां होस्ट की गईं?
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कितने पैसे आरोपी ने कमाए?
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और कितनी लड़कियाँ इसका शिकार बनीं?
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सामाजिक और सांस्कृतिक खतरा:
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यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि युवा लड़कियों की सुरक्षा, धार्मिक विश्वासों, और साइबर नैतिकता से जुड़ा बड़ा संकट है।
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ऐसे मामलों में गुमराह करने वाले संगठनों और नेटवर्क की जाँच जरूरी है जो धर्म के नाम पर लड़कियों को निशाना बनाते हैं।
अब क्या ज़रूरी है?
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जांच को विशेष टीम को सौंपा जाए — जिसमें साइबर, महिला सुरक्षा, और बाल संरक्षण विशेषज्ञ हों।
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पीड़िता को काउंसलिंग और कानूनी मदद तुरंत मिले।
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आरोपी और उसकी सहयोगियों के खिलाफ पॉर्न बेचने का आर्थिक नेटवर्क खंगाला जाए।
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प्रदेश और केंद्र सरकार को ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति रोकने हेतु सख्त मॉनिटरिंग सिस्टम और जागरूकता अभियान चलाने चाहिए।