हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली इलाके में बनी मस्जिद को शिमला नगर निगम की कमिश्नर कोर्ट ने पूरी तरह अवैध करार देते हुए उसके सभी चार मंजिलों को गिराने का आदेश दे दिया है। यह फैसला एक 15 साल पुराने भूमि विवाद पर आया है, जिसमें हिमाचल प्रदेश वक्फ बोर्ड यह साबित नहीं कर पाया कि उसका विवादित जमीन पर कोई वैध मालिकाना हक है।
इस पूरे मामले के मुख्य तथ्य:
🏛️ कोर्ट का फैसला:
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सभी चार मंजिलें (ग्राउंड, फर्स्ट, सेकंड, थर्ड, फोर्थ फ्लोर) अवैध घोषित।
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बिना अनुमति, बिना एनओसी, और बिना सैंक्शन मैप के निर्माण किया गया था।
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5 अक्टूबर 2024 को पहले ही ऊपरी मंजिलों को गिराने का आदेश दिया जा चुका था।
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नगर निगम कमिश्नर कोर्ट ने अब पूरे ढांचे को गिराने का अंतिम आदेश दे दिया।
📜 वक्फ बोर्ड की स्थिति:
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वक्फ बोर्ड 15 वर्षों में कोर्ट में कोई वैध दस्तावेज, भूमि स्वामित्व का प्रमाण या एनओसी नहीं पेश कर पाया।
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टैक्स एनओसी भी नगर निगम से नहीं ली गई।
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कोर्ट ने कहा कि पुराना ढांचा भी बिना अनुमति गिराया गया, और नया निर्माण नगर निगम अधिनियम का उल्लंघन है।
🏗️ संभावित कार्रवाई:
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नगर निगम अब जल्द ही बुलडोजर चलाकर मस्जिद को गिरा सकता है।
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यह फैसला हाई कोर्ट के निर्देशों के तहत नगर निगम कमिश्नर को 6 हफ्ते के भीतर निर्णय लेने के आदेश का हिस्सा है।
🔥 सामाजिक प्रतिक्रिया:
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ढली इलाके में हिंदू संगठनों द्वारा प्रदर्शन किया गया था, जिससे मामला पहले से विवादास्पद बना हुआ था।
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स्थानीय लोगों की ओर से कोर्ट में सक्रिय पैरवी की गई।
यह मामला संवेदनशील भी है और कानून, धार्मिक स्थल निर्माण की वैधता, और नगर निगम की भूमिका से जुड़ा है। इसके सामाजिक और प्रशासनिक दोनों आयाम हैं।