उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में नेपाल सीमा के पास बिलसंडा थाना क्षेत्र का सिम्बुआ गाँव में एक हिंदू धीरज सक्सेना के घर में पाँच मजारें मिलने से हड़कंप मच गया। गाँव में सिर्फ एक मुस्लिम परिवार रहता है, ऐसे में धीरज के घर में मजारें बनवाने की खबर ने सभी को चौंका दिया।
राष्ट्रीय योगी सेना ने इसे धर्मांतरण की साजिश और अंधविश्वास फैलाने का प्रयास बताकर मजारों को शुक्रवार (2 मई 2025) को तुड़वा दिया। पुलिस ने मामले की जाँच की और स्थिति को नियंत्रित किया। धीरज का कहना है कि मजारें परिवार की सुरक्षा और आस्था के लिए बनवाई थीं, न कि धर्म बदलने के लिए।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, धीरज (35) ने बताया कि उनकी 17 साल की बहन सीता की 15 साल पहले मौत हो गई थी। सीता हमेशा बीमार रहती थी। वह चलते-चलते गिर जाती, चिल्लाती और कहती कि कोई उसका गला दबा रहा है। बरेली और कई अस्पतालों में इलाज के बाद भी आराम नहीं मिला। परिवार के बुजुर्गों के कहने पर धीरज उसे अम्बेडकरनगर की किछौछा शरीफ दरगाह ले गए। वहाँ उतारा और झाड़-फूँक से सीता को थोड़ा फायदा हुआ, लेकिन कुछ समय बाद उसकी मौत हो गई।
धीरज का कहना है कि बहन की मौत के बाद घर में अजीब घटनाएँ होने लगीं। खाने की थाली गायब हो जाती, चारपाई खिसकती और अजीब आवाजें सुनाई देतीं। इससे डरकर परिवार ने किछौछा शरीफ के पीर बाबा के नाम पर घर में पाँच मजारें बनवाईं। धीरज ने 15 हजार रुपये खर्च कर ये मजारें घर के एक अलग कमरे में बनवाईं, जहाँ हरा पेंट किया गया था।
धीरज ने साफ किया कि मजारों के नीचे कोई कब्र नहीं है। वह रोज मजारों पर फूल चढ़ाते और धूपबत्ती जलाते हैं, लेकिन घर में बने मंदिर में भी लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं। धीरज का कहना है, “मैं हिंदू हूँ और हमेशा रहूँगा। मजारें सिर्फ परिवार की सुरक्षा के लिए बनवाई थीं।” गाँव वालों ने इसे काला जादू से जोड़ा और कहा कि धीरज की बहन पर जादू-टोना था। उन्होंने पहले भी मजारों का विरोध किया था, लेकिन धीरज ने उनकी बात नहीं मानी।
राष्ट्रीय योगी सेना को सूचना मिली कि धीरज के घर में मजारें हैं और वह झाड़-फूँक के जरिए लोगों को गुमराह कर धर्मांतरण की कोशिश कर रहा है। संगठन के महंत सरोजनाथ और पीलीभीत जिलाध्यक्ष सुमित शर्मा ने बिलसंडा थाने में शिकायत की। पुलिस और हिंदू संगठन के लोग धीरज के घर पहुँचे। वहाँ मजारों के साथ झाड़-फूँक का सामान भी मिला। संगठन ने इसे अंधविश्वास और धर्मांतरण की साजिश बताया। महंत सरोजनाथ ने कहा, “यह सिर्फ आस्था नहीं, बल्कि गाँव में इस्लामिक तरीकों से लोगों को जोड़ने की योजना थी। अगर पुलिस समय पर नहीं पहुँचती, तो माहौल बिगड़ सकता था।”
बिलसंडा थाना प्रभारी सिद्धांत शर्मा ने बताया कि धीरज से पूछताछ में कोई साजिश का सबूत नहीं मिला। यह मामला धार्मिक भावना और अंधविश्वास से जुड़ा है। धीरज ने खुद मजारें हटाने का फैसला किया। गाँव में स्थिति सामान्य है, लेकिन पुलिस नजर रख रही है। धीरज के परिवार के सदस्य सुमेर सक्सेना ने कहा, “मजारें हमारी निजी श्रद्धा का हिस्सा थीं। इन्हें तोड़ने से हमें दुख हुआ। हमने किसी को बाध्य नहीं किया।”
यह मामला अंधविश्वास और धार्मिक संवेदनशीलता का मिश्रण है। झाड़-फूँक और काला जादू जैसी मान्यताएँ आज भी ग्रामीण इलाकों में लोगों को प्रभावित करती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी प्रथाएँ अंधविश्वास को बढ़ावा देती हैं और सामाजिक तनाव का कारण बन सकती हैं। इस घटना ने धर्मांतरण के आरोपों को भी हवा दी, जिससे गाँव में तनाव पैदा हुआ।