एक तरफ जहां उत्तर प्रदेश सरकार धर्मांतरण प्रतिषेध अधिनियम कानून बनाकर धर्मांतरण के खिलाफ शिकंजा कस रही है तो दूसरी तरफ ईसाई मिशनरियां धर्म परिवर्तन सभा का आयोजन और प्रलोभन देकर बड़ी संख्या में लोगों को कन्वर्ट कर इसाई बना रही हैं। ताजा मामला सुजानगंज थाना क्षेत्र का है।
ये हुई शिकायत, बीमार हो जाने का डर
रविवार को स्थानीय लोगों ने सुजानगंज थाने में लिखित तहरीर देते हुए आरोप लगाए कि ग्राम सभा कुतुबपुर निवासी खेमचंद पुत्र रामदुलार तथा रामनारायण पुत्र खेमचंद ईसाई मिशनरी ने धर्मांतरण सभा का आयोजन किया। हम लोगों को प्रलोभन दिया और हिंदू धर्म के बारे में गंदी-गंदी बातें बातें की। ईसाई मत को न मानने पर मेरे परिवार वाले तथा मैं बीमार हो जाऊंगा ऐसी बातों को बताकर ईसाई मत में कन्वर्ट करने के लिए विवश कर रहे थे।
पुलिस ने ये कहा
मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए मौके पहुंच कर दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया। वहां ईसाई मिशनरीज की पुस्तकें भी बरामद हुई हैं। इस संबंध में थानाध्यक्ष युजवेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि धर्मांतरण सभा की सूचना मिलते ही मौके पर सुजानगंज पुलिस द्वारा पहुंचकर दो पादरियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। बाइबल की किताब भी बरामद की गई। मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।
विहिप ने कड़ी कार्रवाई की मांग की
धर्म परिवर्तन की जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंचे विश्व हिंदू परिषद के जिला अध्यक्ष दिनेश कुमार मिश्रा तथा प्रखंड अध्यक्ष शीतला प्रसाद मिश्र ने आरोपियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग की। क्षेत्राधिकार (मछली शहर) विवेक सिंह ने बताया कि अरविन्द कुमार गौतम पुत्र रामचन्द्र गौतम निवासी दीपकपुर थाना सुजानगंज द्वारा तहरीर गई कि ग्राम सभा कुतुबपुर के निवासी खेमचन्द्र पुत्र रामदुलार व रामनारायण पुत्र खेमचन्द्र अपने घर बुला कर एक प्रार्थना सभा आयोजित कर हमें धन तथा नाना प्रकार का प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन हेतु विवश कर रहे थे। तहरीर के आधार पर विधि विरुद्ध धर्म परिर्वतन अधिनियम 2025 बनाम खेमचन्द्र व रामनारायण पंजीकृत कर दोनों को पुलिस हिरासत में लिया गया है।
मुख्य बिंदु इस प्रकरण में ये रहे:
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धार्मिक प्रतीकों का मिश्रण: धीरज ने एक ही घर में लक्ष्मी माता की पूजा और मजारों पर फूल चढ़ाने की बात कही — यह पारंपरिक हिंदू समाज में असामान्य और कुछ के लिए अस्वीकार्य हो सकता है।
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अंधविश्वास की भूमिका: बहन की बीमारी, मौत और घर में अजीब घटनाओं के अनुभव ने झाड़-फूँक और धार्मिक प्रतीकों के सहारे समाधान खोजने की मानसिकता को दर्शाया। यह वैज्ञानिक सोच की कमी और ग्रामीण क्षेत्रों में गहरी जड़ें जमा चुके अंधविश्वास का प्रतीक है।
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धर्मांतरण की आशंका: राष्ट्रीय योगी सेना और अन्य संगठनों ने इसे धर्मांतरण की कोशिश बताया, जिससे मामला और भी संवेदनशील बन गया। हालाँकि पुलिस को ऐसी कोई साजिश नहीं मिली, फिर भी आरोपों ने मामले को बड़ा बना दिया।
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प्रशासन की भूमिका: पुलिस और प्रशासन ने समय पर दखल दिया और मामले को सांप्रदायिक विवाद बनने से रोका, लेकिन यह दिखाता है कि धार्मिक आस्थाएँ किस तरह सामूहिक तनाव का कारण बन सकती हैं, खासकर जब वे एक विशिष्ट समुदाय की परंपराओं से मेल न खाएँ।
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धीरज का रुख: उन्होंने न तो अपने धर्म को छोड़ने की बात कही, न किसी को जबरन कुछ करने को कहा — लेकिन ग्रामीण संदर्भ में ‘निजी श्रद्धा’ भी सार्वजनिक चिंता का विषय बन सकती है।