तैमूर नगर नाले के आसपास अतिक्रमण हटाने की यह कार्रवाई राजधानी दिल्ली में बढ़ते अवैध निर्माण, जनसंख्या दबाव और शहरी बुनियादी ढांचे की विफलता को लेकर गहराते संकट की एक स्पष्ट तस्वीर पेश करती है। इस घटना के कुछ प्रमुख पक्ष इस प्रकार हैं:
कार्रवाई की पृष्ठभूमि और कारण:
- दिल्ली हाई कोर्ट ने 28 अप्रैल 2025 को डीडीए को आदेश दिया कि दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के तैमूर नगर नाले के आसपास अतिक्रमण हटाया जाए, ताकि:
- नाले की नियमित सफाई हो सके,
- मानसून में जलभराव रोका जा सके,
- अवैध कब्जों को हटाकर सार्वजनिक भूमि को पुनः सुरक्षित किया जा सके।
- स्थानीय निवासियों और विशेषज्ञों ने लंबे समय से शिकायत की थी कि नाले में गंदगी और अतिक्रमण के कारण वर्षा के समय घरों में पानी भर जाता है, जिससे बाढ़ जैसी स्थिति बन जाती है।
अभियान की प्रमुख बातें:
- 100 से अधिक अवैध मकान और डेयरियों को ध्वस्त किया गया।
- नाले के 9 मीटर के क्षेत्र में बुलडोजर चलाया गया।
- बिजली और पानी के कनेक्शन काट दिए गए।
- दिल्ली पुलिस और RAF की तैनाती के साथ सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए।
अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा:
- अधिकारियों ने दावा किया कि नाले के पास कब्जा जमाने वालों में बड़ी संख्या बांग्लादेशी घुसपैठियों की है।
- ऐसे घुसपैठिए अक्सर फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए राशन कार्ड, आधार आदि बनवा लेते हैं और सरकारी सेवाओं का लाभ उठाते हैं।
- राष्ट्रीय सुरक्षा और डेमोग्राफिक संतुलन के दृष्टिकोण से यह एक चिंताजनक पहलू है।
स्थानीय निवासियों की आपत्ति:
- कई निवासियों ने दावा किया कि यह ज़मीन उनके पूर्वजों की है और वे 200 वर्षों से यहाँ रह रहे हैं।
- करीब 45 साल पहले पक्के मकान बनाए गए, और अब उन्हें उजाड़ा जा रहा है।
- प्रभावित लोगों ने कहा है कि वे फिर से हाई कोर्ट जाएंगे और राहत की मांग करेंगे।
मॉनसून और जलभराव का संकट:
- हर मानसून में तैमूर नगर, श्रीनिवासपुरी, कालिंदी, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी जैसे क्षेत्रों में जलभराव एक आम समस्या है।
- नाले का अतिक्रमण और कूड़ा-कचरा जलनिकासी को बाधित करता है।
- नगर निगम और DDA को अब दीर्घकालिक समाधान पर काम करने की ज़रूरत है, जैसे:
- नाले की नियमित सफाई की व्यवस्था,
- सीवर-पानी का अलगाव,
- पुनर्वास नीति के तहत मानवीय दृष्टिकोण से पुनर्स्थापन।
समस्या का बड़ा फलक:
- यह मामला सिर्फ अतिक्रमण हटाने तक सीमित नहीं है, बल्कि दिल्ली जैसे महानगरों में शहरी नियोजन की असफलता, अवैध प्रवासियों की समस्या, और न्याय, पुनर्वास व सार्वजनिक हित के बीच संघर्ष को दर्शाता है।