प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज (बुधवार) होने वाली कैबिनेट और फिर कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक वाकई में एक निर्णायक मोड़ हो सकती है, खासकर ऐसे समय में जब:
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पहलगाम आतंकी हमला देश की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती देता है,
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ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने आतंकी तत्वों और उनके संरक्षक पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया है, और
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सीजफायर के बाद भारत-पाकिस्तान सीमा पर हालात को लेकर रणनीतिक पुनर्मूल्यांकन जरूरी हो गया है।
प्रमुख बिंदु जो आज की बैठक में चर्चा के केंद्र में रह सकते हैं:
🔶 ऑपरेशन सिंदूर के बाद की रणनीति:
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क्या सेना को और व्यापक कार्रवाई की छूट दी जाएगी?
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क्या LoC और IB (अंतरराष्ट्रीय सीमा) पर सैन्य तैनाती में कोई बदलाव होगा?
🔶 पहलगाम हमले की जांच और दोषियों की पहचान:
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जांच एजेंसियों से प्रगति रिपोर्ट ली जा सकती है।
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हो सकता है कि NIA को विशेष जांच के और अधिकार दिए जाएं।
🔶 सीजफायर के बाद की स्थिति:
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सीमा पर पाकिस्तान की ओर से किसी धोखे की आशंका पर समीक्षा।
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BSF और सेना की निगरानी रणनीति को अपडेट किया जा सकता है।
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ड्रोन और घुसपैठ की गतिविधियों को रोकने के लिए नए तकनीकी उपायों पर चर्चा।
🔶 पाकिस्तान को अगली चेतावनी या जवाबी नीति:
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डिप्लोमैटिक स्तर पर और अधिक दबाव की योजना।
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आतंक पर कार्रवाई न करने पर आर्थिक/सामरिक नीतियों में बदलाव।
कौन होंगे शामिल?
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (अध्यक्षता में)
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
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गृह मंत्री अमित शाह
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
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राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोवाल
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संभावना है कि CDS और तीनों सेना प्रमुख भी उपस्थित हों।
यह बैठक क्यों है महत्वपूर्ण?
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पहलगाम हमले के बाद जनता का आक्रोश और जवाब की अपेक्षा।
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सीजफायर के बावजूद पाकिस्तान की चालबाजियाँ — जिस पर भारत अब कमजोर नहीं दिखना चाहता।
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आंतरिक सुरक्षा + सीमा सुरक्षा के संतुलन पर रणनीतिक निर्णय की आवश्यकता।
आज की CCS बैठक न केवल पहलगाम हमले के जवाब पर केंद्रित है, बल्कि यह भारत की दीर्घकालिक राष्ट्रीय सुरक्षा नीति को भी परिभाषित कर सकती है। यदि पाकिस्तान सीजफायर का उल्लंघन या आतंकियों को समर्थन देना जारी रखता है, तो भारत की रणनीति पहले से कहीं अधिक आक्रामक और निर्णायक हो सकती है।