अरुणाचल प्रदेश पर नाम बदलने की चाल और भारत की सख्त प्रतिक्रिया
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चीन ने एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश के कई स्थानों के नाम बदलकर उन्हें “दक्षिणी तिब्बत” के भाग के रूप में पेश करने की कोशिश की।
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यह बीते वर्षों में ऐसा करने का पांचवां प्रयास है — इसे “standard map” के ज़रिए प्रचारित किया गया।
भारत की प्रतिक्रिया:
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने चीन के इस कदम को:
“व्यर्थ और निरर्थक प्रयास” करार दिया और स्पष्ट किया कि:
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“अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और रहेगा।“
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“चीन द्वारा नाम बदलने से भौगोलिक और राजनीतिक सच्चाई नहीं बदलती।”
भारत-चीन सीमा विवाद की पृष्ठभूमि:
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भारत और चीन के बीच 3,488 किमी लंबी सीमा है, जिसे “वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC)” कहा जाता है।
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अरुणाचल प्रदेश में भारत की सीमा चीन के तिब्बत क्षेत्र से लगती है।
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भारत इस क्षेत्र को संवैधानिक राज्य मानता है, जबकि चीन इसे “झांगनान” (Zangnan) कहकर अपने तिब्बती क्षेत्र का हिस्सा बताता है।
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मैकमोहन रेखा, जो ब्रिटिश-कालीन संधि के तहत तय हुई थी, को भारत मान्यता देता है, लेकिन चीन इसे मान्यता नहीं देता।
चीन के इरादों का विश्लेषण:
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जियोपॉलिटिकल दबाव: पहलगाम जैसे आतंकी हमलों में चीन का पाकिस्तान के साथ खड़ा होना, और अब अरुणाचल पर दावा, यह दिखाता है कि वह भारत के खिलाफ दो-तरफा रणनीति अपना रहा है — राजनयिक और मनोवैज्ञानिक दबाव।
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नाम बदलने की कोशिशें: ये प्रोपेगैंडा आधारित रणनीति है, जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भ्रम फैलाना और अपने दावों को ‘वैध’ दिखाना है।
भारत की नीति और जवाबी रुख:
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भारत ने हर बार चीन के ऐसे प्रयासों को खारिज किया है — चाहे वह नक्शे जारी करना हो, नाम बदलना हो या इनफ्रास्ट्रक्चर निर्माण करना।
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भारत ने हाल ही में अरुणाचल में तेज़ी से बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया है (जैसे साला पास टनल, वायुसेना की नई बेस, बॉर्डर गांवों में विकास आदि)।
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भारत की नीति स्पष्ट है: सीमा विवाद के बीच सुरक्षा और संप्रभुता पर कोई समझौता नहीं।
निष्कर्ष:
चीन का यह कदम न सिर्फ राजनयिक रूप से अस्वीकार्य है, बल्कि यह एक जानबूझकर किया गया उकसावा है। भारत ने सटीक, संतुलित लेकिन कठोर शब्दों में इसका जवाब देकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। यह संदेश चीन को और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी साफ तौर पर दिया गया है कि:
“भारत अपनी क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेगा।”