ऑपरेशन सिंदूर की ऐतिहासिक सफलता के बाद भारत में राष्ट्रभक्ति का माहौल और प्रबल हो गया है। एक ओर जहां भारतीय जनता पार्टी देशभर में ‘भारत शौर्य तिरंगा यात्रा’ निकाल रही है, वहीं मंगलवार को देश की तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भेंट कर उन्हें इस सैन्य अभियान की जानकारी दी।
भेंट करने वाले सैन्य प्रमुख:
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जनरल अनिल चौहान – चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS)
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जनरल उपेंद्र द्विवेदी – थल सेना प्रमुख
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एयर चीफ मार्शल एपी सिंह – वायुसेना प्रमुख
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एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी – नौसेना प्रमुख
राष्ट्रपति मुर्मू की प्रतिक्रिया:
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तीनों सेनाओं की संयुक्त कार्यवाही की प्रशंसा करते हुए कहा:
“भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता, अनुशासन और देशभक्ति ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की प्रतिक्रिया को एक शानदार सफलता में बदल दिया है। मैं पूरे देश की ओर से हमारे बहादुर जवानों को नमन करती हूँ।”
उन्होंने यह भी कहा कि यह ऑपरेशन भारत की रणनीतिक संप्रभुता, त्वरित निर्णय क्षमता और सैन्य कौशल का प्रतीक है।
General Anil Chauhan, Chief of Defence Staff, along with General Upendra Dwivedi, Chief of the Army Staff, Air Chief Marshal A. P. Singh, Chief of the Air Staff, and Admiral Dinesh K. Tripathi, Chief of the Naval Staff, called on President Droupadi Murmu and briefed her about… pic.twitter.com/ZU3GcK5Vux
— President of India (@rashtrapatibhvn) May 14, 2025
ऑपरेशन सिंदूर: एक नजर में
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पृष्ठभूमि: 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में कई सुरक्षाकर्मी शहीद हुए।
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कार्रवाई: इसके बाद केंद्र सरकार के निर्देश पर भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया।
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परिणाम: पहले ही दिन 100+ आतंकियों को मार गिराया गया, जिससे पाकिस्तान समर्थित आतंकी गुटों को बड़ा झटका लगा।
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प्रभाव: अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सैन्य क्षमता को सराहा गया और पाकिस्तान की भूमिका पर सवाल उठे।
राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रियाएँ
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन को ‘निर्णायक और ऐतिहासिक’ बताया।
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सीएम योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ से तिरंगा यात्रा का शुभारंभ करते हुए कहा:
“भारत ने दिखा दिया है कि कोई छेड़ेगा तो छोड़ेगा नहीं।”
विशेष महत्व
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यह पहली बार है जब तीनों सेनाओं के प्रमुख एक साथ राष्ट्रपति को रिपोर्ट देने पहुंचे, जिससे ऑपरेशन की गंभीरता और रणनीतिक महत्व स्पष्ट होता है।
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इस भेंट से यह भी संकेत मिलता है कि भारत एक संयुक्त सैन्य सिद्धांत की दिशा में और अधिक सशक्त होता जा रहा है।