मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में चल रहे सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और धार्मिक पुनर्जागरण की एक गहन झलक प्रस्तुत करती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “सांस्कृतिक अभ्युदय” के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में यह एक ठोस पहल है। इसे कुछ मुख्य बिंदुओं में इस प्रकार समेटा जा सकता है:
मुख्य सांस्कृतिक पहलकदमियाँ – मध्य प्रदेश सरकार
🔷 गोपालन, गीता और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा
- गोपालन से आर्थिक समृद्धि और गीता से सांस्कृतिक चेतना का संदेश दिया जा रहा है।
- श्रीकृष्ण पाथेय और श्रीराम वनगमन पथ जैसे आध्यात्मिक पथ धार्मिक पर्यटन को नया आधार दे रहे हैं।
🔷 मध्य प्रदेश – महाराष्ट्र सांस्कृतिक साझेदारी
- दोनों राज्यों में साझा इतिहास: बाजीराव पेशवा, तात्या टोपे, रानी लक्ष्मीबाई, अहिल्या बाई होल्कर आदि।
- मोढ़ी लिपि का संरक्षण, इतिहास लेखन और डिजिटलीकरण पर सहमति।
- संयुक्त रूप से पाँच प्रमुख ज्योतिर्लिंगों का धार्मिक सर्किट:
- मध्य प्रदेश: महाकालेश्वर (उज्जैन), ओंकारेश्वर (खंडवा)
- महाराष्ट्र: त्र्यंबकेश्वर, भीमाशंकर, घृष्णेश्वर
🔷 राम वनगमन पथ का विकास
- 1450 किमी का मार्ग, जिसमें 23 प्रमुख धार्मिक स्थल।
- प्रमुख जिले: चित्रकूट, सतना, पन्ना, अमरकंटक, उमरिया, शहडोल आदि।
- इसे धार्मिक-सांस्कृतिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।
🔷 उज्जैन और ओंकारेश्वर में तीव्र विकास
- सिंहस्थ भूमि का स्थायी आवंटन।
- उज्जैन में विक्रमोत्सव और “विक्रमादित्य वैदिक घड़ी” का शुभारंभ।
- शासकीय कैलेंडर में विक्रम संवत की वापसी।
- उज्जैन को व्यापार, पर्यटन और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में उभरने का अवसर।
🔷 नई सुविधाएँ
- धार्मिक स्थलों पर हेलीकॉप्टर सेवा।
- सीमावर्ती जिलों (बुरहानपुर, बालाघाट, छिंदवाड़ा आदि) में भी परियोजनाओं का विस्तार।
संभावित प्रभाव
- धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार और आर्थिक गतिविधियों का लाभ मिलेगा।
- सांस्कृतिक चेतना का पुनरुत्थान, विशेषकर युवाओं में।
- भारत की सनातन परंपरा को संरक्षित कर वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने की दिशा में ठोस कदम।