भारत द्वारा 13 मई 2025 को गोपालपुर में स्वदेशी एंटी-ड्रोन सिस्टम ‘भार्गवास्त्र’ के सफल परीक्षण की जानकारी है, जो कि हाल ही में पाकिस्तान द्वारा 400 ड्रोन हमलों की पृष्ठभूमि में आया है। यह न केवल सामयिक है, बल्कि भारत की रक्षा तैयारियों में एक रणनीतिक छलांग को दर्शाता है।
पृष्ठभूमि: ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के ड्रोन हमले
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भारत द्वारा PoK में आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई (ऑपरेशन सिंदूर) के जवाब में पाकिस्तान ने 400 ड्रोन भारत की पश्चिमी सीमा पर भेजे।
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भारतीय वायु रक्षा प्रणाली (जैसे S-400) और सैनिकों की सतर्कता ने इन सभी ड्रोन हमलों को विफल कर दिया।
भार्गवास्त्र सिस्टम का परीक्षण (13 मई 2025, गोपालपुर)
विकासकर्ता:
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सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (SDAL) द्वारा डिज़ाइन और निर्मित।
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पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित।
मुख्य विशेषताएं:
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डिटेक्शन रेंज:
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6–10 किमी की दूरी पर ड्रोन या झुंड का पता लगाने की क्षमता।
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2.5 किमी तक की दूरी पर छोटे ड्रोनों को भी ट्रैक और नष्ट कर सकता है।
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मल्टी-टारगेट एंगेजमेंट:
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झुंड में आ रहे ड्रोनों (swarm drones) को एक साथ नष्ट करने की क्षमता।
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20 मीटर की घातक त्रिज्या में माइक्रो-रॉकेट हमला करता है।
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प्रयोगशाला से मैदान तक:
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समुद्र तल से लेकर 5,000 मीटर ऊंचाई तक तैनाती के लिए सक्षम।
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हर भौगोलिक परिस्थिति (रेगिस्तान, पहाड़, समुद्र) में कारगर।
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C4I प्रणाली से लैस:
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Command, Control, Communications, Computers, Intelligence (C4I) सिस्टम के साथ इंटीग्रेटेड।
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तेज़ निर्णय लेने और हमले का ऑटोमैटिक जवाब देने में सक्षम।
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परीक्षण विवरण:
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कुल 4 माइक्रो रॉकेट दागे गए:
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2 एकल मोड में
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1 साल्वो मोड में (2 रॉकेट एक साथ)
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सभी रॉकेटों ने 100% लक्ष्य भेदन किया।
भारत की रणनीतिक बढ़त
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भार्गवास्त्र भारत को ड्रोन युद्ध के नए युग में सुरक्षा की पहली पंक्ति देता है।
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यह S-400 जैसे विदेशी सिस्टम के पूरक के रूप में कम लागत, उच्च प्रतिक्रिया क्षमता के साथ तैनात किया जा सकता है।
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पाकिस्तान, तुर्की और चीन जैसे देशों की ओर से होने वाले स्वार्म अटैक को रोकने में सहायक।
भार्गवास्त्र का विकास और सफल परीक्षण भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। हालिया घटनाओं में इसकी तत्काल आवश्यकता सिद्ध हुई है। आने वाले वर्षों में यह भारतीय सेना, BSF और वायु रक्षा बलों की मानक एंटी-ड्रोन प्रणाली बन सकता है।