राजस्थान में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अगुआई में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ चलाए जा रहे बड़े पैमाने के अभियान का प्रमाण है। यह कदम राज्य की आंतरिक सुरक्षा और जनसंख्या संतुलन को लेकर बढ़ती चिंताओं की पृष्ठभूमि में लिया गया है।
भजनलाल सरकार की कार्रवाई: एक नज़र
गिरफ्तारी और निष्कासन अभियान
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अब तक 1008 बांग्लादेशी घुसपैठिए राजस्थान के 17 जिलों से गिरफ्तार किए गए हैं।
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इनमें से 393 गिरफ्तारियाँ अकेले सीकर जिले से हुईं, जहाँ अधिकांश लोग ईंट भट्टों पर काम कर रहे थे।
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गिरफ्तार किए गए घुसपैठियों को जयपुर के डिटेंशन सेंटर में रखा गया था।
पहला जत्था बांग्लादेश रवाना
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14 मई 2025 को, 148 बांग्लादेशी नागरिकों को जोधपुर वायुसेना अड्डे से विशेष विमान द्वारा पश्चिम बंगाल भेजा गया।
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वहाँ से BSF (सीमा सुरक्षा बल) की मदद से उन्हें बांग्लादेश लौटाया गया।
सुरक्षा, खुफिया और पहचान प्रक्रिया
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घुसपैठियों की पहचान के लिए विशेष टीमें गठित की गईं।
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इन टीमों ने आईडी कार्ड, मोबाइल नंबर, बैंक खातों और ठिकानों की जाँच करके नागरिकता की पुष्टि की।
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6 डिटेंशन सेंटर राज्यभर में बनाए गए हैं, जहाँ शेष पकड़े गए लोग रखे गए हैं।
पृष्ठभूमि: पहलगाम आतंकी हमला और राष्ट्रीय सुरक्षा
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यह अभियान 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद तेज किया गया।
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मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने राज्य में सघन तलाशी अभियान और अवैध घुसपैठ की जाँच का आदेश दिया था।
अन्य राज्यों की कार्रवाई:
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असम: मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने हाल ही में घोषणा की थी कि मटिया डिटेंशन सेंटर में रखे गए 100 से अधिक रोहिंग्याओं को वापस बांग्लादेश भेजा गया है।
विश्लेषण: इस कार्रवाई का महत्त्व
बिंदु | विवरण |
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राष्ट्रीय सुरक्षा | अवैध घुसपैठिए कई बार आतंकी गतिविधियों, जाली दस्तावेज़ और तस्करी जैसे मामलों में लिप्त पाए गए हैं। |
सांस्कृतिक-सामाजिक प्रभाव | अवैध बसावटों से जनसांख्यिकीय असंतुलन और स्थानीय समाज में तनाव की स्थिति उत्पन्न होती है। |
राजनीतिक संदेश | भजनलाल सरकार की यह कार्रवाई उनके “ज़ीरो टॉलरेंस ऑन इनफिल्ट्रेशन” स्टैंड को दर्शाती है। |
कानूनी-राजनयिक पहलू | बांग्लादेशी नागरिकों की वापसी के लिए बांग्लादेश सरकार से समन्वय भी किया जा रहा है। |
भविष्य की रणनीति और सुझाव
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डिजिटल पहचान सत्यापन को और मजबूत किया जाना चाहिए (आधार, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर ID की क्रॉस-वेरिफिकेशन)।
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वर्कप्लेस मॉनिटरिंग: जैसे कि ईंट भट्टे, निर्माण स्थलों आदि पर विदेशी मजदूरों के सत्यापन की नीति।
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केंद्रीय डिटेंशन पॉलिसी और रिपैट्रिएशन ट्रीटी को मजबूत किया जाना चाहिए ताकि ऐसे मामलों में तेजी लाई जा सके।