भारत सरकार ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद उत्पन्न स्थिति में सख्त और संगठित कूटनीतिक तथा सैन्य प्रतिक्रिया दी है।
मुख्य बिंदु:
1. विदेश सचिव विक्रम मिसरी की ब्रीफिंग:
- स्थान: संसद की विदेश मामलों पर स्थायी समिति (अध्यक्ष: शशि थरूर)
- विषय:
- भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष की पृष्ठभूमि
- सीमा पार सुरक्षा चुनौतियाँ
- इस्लामाबाद के साथ वर्तमान राजनयिक संबंध
- क्षेत्रीय स्थिरता पर असर
- सदस्यों की उपस्थिति: अभिषेक बनर्जी, राजीव शुक्ला, दीपेंद्र हुड्डा, असदुद्दीन ओवैसी, अपराजिता सारंगी, अरुण गोविल आदि।
2. ‘ऑपरेशन सिंदूर’:
- प्रारंभिक कारण:
- कश्मीर के पहलगाम में हुआ बड़ा आतंकवादी हमला।
- इसके बाद भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा सीमापार कर जवाबी सैन्य कार्रवाई शुरू की गई।
- नतीजा:
- 10 मई को भारत और पाकिस्तान में सीजफायर (संघर्ष विराम) की सहमति बनी।
3. भारत की वैश्विक कूटनीति:
- सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल:
- 33 देशों में भेजे जाने की योजना।
- उद्देश्य: वैश्विक मंचों पर भारत की आतंकवाद विरोधी नीति और सैन्य कार्रवाई का पक्ष रखना।
महत्त्वपूर्ण विश्लेषण:
- राजनयिक सक्रियता: भारत इस मुद्दे को केवल सैन्य स्तर पर नहीं, बल्कि वैश्विक कूटनीतिक स्तर पर भी मजबूती से उठा रहा है। सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का निर्णय यह दर्शाता है कि भारत आतंकवाद को वैश्विक चिंता के रूप में प्रस्तुत करना चाहता है।
- सियासी एकता का संकेत: विभिन्न दलों के सांसदों को प्रतिनिधिमंडल में शामिल करना यह भी दर्शाता है कि भारत इस मामले पर घरेलू राजनीतिक एकता दिखाने का प्रयास कर रहा है — यह वैश्विक मंचों पर एक सशक्त संदेश होता है।
- पाकिस्तान के साथ संबंध: विदेश सचिव मिसरी की ब्रीफिंग में यह स्पष्ट संकेत है कि भारत राजनयिक विकल्पों को खुला रखते हुए सुरक्षा चिंताओं को प्राथमिकता दे रहा है।
आगे की संभावनाएँ:
- 16वें वित्त आयोग और संसदीय समिति दोनों ही घटनाएं यह दिखाती हैं कि भारत, विशेष रूप से उत्तराखंड जैसे सीमावर्ती और संवेदनशील राज्यों के संदर्भ में, आंतरिक स्थिरता और बाह्य सुरक्षा के बीच संतुलन बैठाने पर ध्यान दे रहा है।